alka pandey12:57:00 am अनवरत प्रेम गंगा... कलकल बहती अनवरत प्रवाहित होती आत्मा से मन कि ऒर.. प्रेम गंगा। आत्मा के उच्च शिखरों पर हिमखंडों से द्रवित आँखों ... 0 Comments Read