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'सहचर ई-पत्रिका' का आठवाँ अंक प्रकाशित



'सहचर ई-पत्रिका' का आठवाँ अंक आपके समक्ष प्रस्तुत है आप इसे sahchar.com पर पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं. यह अंक प्रसिद्ध रंगकर्मी और अभिनेता दयाप्रकाश सिन्हा की रचनाधर्मिता पर अधारित है जिसमें दयाप्रकाश सिन्हा की रंग और लेखन प्रक्रिया संबंधी कई लेख है.इस अंक का संपादन नाट्य अध्येता और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. चंदन कुमार ने किया है,

आठवें अंक की अनुक्रमणिका
संपादकीय – प्रो. चंदन कुमार
बातों-बातों में
प्रसिद्ध रंगकर्मी दयाप्रकाश सिन्हा से सहचर टीम की आत्मीय बातचीत
विशेषांक
भारत के ब्रेख्त : दयाप्रकाश सिन्हा – सपना मांगलिक
सत्ता और सृजनशीलता का संबंध – प्रभांशु ओझा
दयाप्रकाश सिन्हा की इतिहास-दृष्टि – लवकुश कुमार
‘रक्तअभिषेक’: ऐतिहासिक नाटक में वर्तमान की ध्वनियाँ – डॉ. ज्योत्सना के. गोस्वामी
‘मेरे भाई: मेरे दोस्त’-धर्म के ऊपर राष्ट्र की विजय – अनुराग सिंह
‘कथा एक कंस की’ का मिथकीय चिंतन – वीरेन्दर
रंग-भाषा और दयाप्रकाश सिन्हा – सुधीर पाण्डेय
दयाप्रकाश सिन्हा के नाटकों में अस्मिता और द्वन्द्व – डॉ. आशीष सिसोदिया
सामयिक संदर्भों के नाटककार हैं : दयाप्रकाश सिन्हा – प्रशांत कुमार सिंह
‘रक्त-अभिषेक’: एक रंगमंचीय अध्ययन – नौशाद अली
ऐतिहासिक प्रसंगों की दृश्य प्रस्तुति और ‘सम्राट अशोक’ – बिपिन प्रसाद
कथा एक कंस की : एक मिथक – डॉ॰ आशा रानी
स्वातन्त्र्योत्तर परिवेश और दयाप्रकाश सिन्हा की नाट्य यात्रा – रवि कुमार
दयाप्रकाश सिन्हा की रंगदृष्टि – मणि कुमार
शोधार्थी
प्रवासी साहित्य को समृद्ध करते अमेरिका के साहित्यकार – स्वर्णलता ठन्ना
पंचलाइट में अस्मिताओं का संघर्ष और जातीय अहं का प्रश्न – शशि
‘उसने कहा था’ की कहानी-कलाः आनंद, उत्सुकता एवं अनुसंधान की यवन्नवतामुपैति – नीरज
आदिवासी कविता का स्त्रीवादी स्वर – धीरेन्द्र सिंह
तर्जुमा
‘तहरा के बा’ भोजपुरी कविता का ‘मेरे अपने’ नाम से अनुवाद- मंजू श्री
अनुभूति
कारा कुंती की (नाटक) – प्रो. कुसुमलता मलिक
साइकिल का पहिया – डॉ.अनीता यादव
कहनी गढ़त मनई(भोजपुरी कविता)– जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
अंंबर पथ पर जाने वाले (कविता) – चंद्रहास पांडेय
स्त्री तेरी कहानी(कहानी) – शिवांगी महेश्वरी
तुम लौट आओ (कहानी) – राकेशधर द्विवेदी
दरिद्रता का हकदार(लघुकथा) – विनोद कुमार दवे
गौरव भारती की चार कविताएँ
मैं उनके लिए वह नहीं हूँ जो वे मेरे लिए हैं – प्रदीप अवस्थी
कुछ मुक्तक और एक गीत – पवन कुमार शर्मा”नीरज”
जरा हट के
काव्य का मानवीकरण – मनोज शर्मा
हर्षचरित: एक ऐतिहासिक स्रोत के रूप में – योगेन्द्र दायमा

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