महिलाओं की सुन्नत : एक कुप्रथा- आरिफा खातून
महिलाओं की सुन्नत : एक कुप्रथा
महिलाओं की सुन्नत (ख़तना) का उदय
कब हुआ इस सम्बन्ध में मतभेद है, विद्वानों का मानना है कि इसकी शुरुआत उत्तर-पश्चिम
अफ्रीका में ईसाई और इस्लाम धर्म के आने से पहले हुआ (अस्साद 1980). पैगम्बर
मोहम्मद साहब के समय भी महिलाओं की सुन्नत का ज़िक्र मिलता है. सहीह मुस्लिम किताब 41 हदीस 5251 में कहा है कि “मदीना में एक औरत एक
बच्ची का ख़तना कर रही थी रसूल वहां गए और उस औरत से कहा कि इस बच्ची की योनी को
इतनी गहराई से मत छिलना जिससे योनी कुरूप हो जाये और इस बच्ची के पति को पसंद ना
आये”(अहमद 2000). दुनिया भर में
महिलाओं का ख़तना सांस्कृतिक रिवायत का हिस्सा है. महिला सुन्नत कई धार्मिक समूहों
मुस्लिम, ईसाई, और यहूदी के बीच पाया जाता है. हालाँकि किसी भी धर्म में महिलाओं
के ख़तने या सुन्नत का आदेश नहीं है. यह प्रथा उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया
देशों में आज भी प्रचलित है.
महिलाओं की सुन्नत
पितृसत्तात्मक शक्ति, सांस्कृतिक पिछड़ापन, सार्वभौमिक मानवाधिकार के प्रति हिंसा
को प्रदर्शित करती है. सुधा अरोड़ा (2009) के मुताबिक “जिन समुदायों में यह प्रथा
प्रचलित है, उनमें अक्सर पुरुष उन लड़कियों से शादी करने से इनकार कर देता हैं
जिनका सुन्नत नहीं करवाया गया होता. ऐसी स्थिति में औरतों के सामने सुन्नत कराने
पर राजी होने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता”. सुन्नत औरतों की स्वछंदता को नियंत्रित करने तथा महिलाओं को
उनके वैवाहिक जीवन में वफ़ादार बनाने का पहला चरण है. महिलाओं के जननांग में क्लिटोरिया हुड होती है और इस
क्लिटोरिया हुड को छेड़ने अथवा दबाने से महिलाओं में यौन इच्छा तथा सेक्स के प्रति
उत्तेजना बढ़ जाती है तथा सेक्स के दौरान उन्हें आनंद की अनुभूति देती है.
क्लिटोरिया को काटना औरतों की यौन इच्छा और कामोत्तेजना की क्षमता को कम या समाप्त
कर देता है, यह एक तरह से औरतों की
अनियंत्रित कामुकता को नियंत्रित करने का एक तरीका है. महिलाओं का ख़तना
इसलिए किया जाता है ताकि वह शादी से पहले किसी से यौन सम्बन्ध स्थापित करने की
इच्छा न रखें तथा पति के अलावा किसी और से सम्बन्ध न बना सकें. यह उनके मानवाधिकार
का हनन है तथा महिलाओं के साथ एक तरह की साजिश भी कि जहाँ पुरुषों का ख़तना उनकी
यौन शक्ति को बढ़ने के लिए किया जाता है, वही महिलाओं का ख़तना उनकी यौन शक्ति को कम
करने के लिए. मुख्यतः सुडान, सोमालिया और माली (जहाँ क्लिटोरिया को काट कर सिल
दिया जाता है) में महिलाओं के शरीर पर नियंत्रण का बहुत ही नाटकीय रूप देखने को
मिलता है. यहाँ पर महिलाओं को वधु मूल्य देकर ख़रीदा जाता है. शादी की पहली रात औरत
का सील तथा प्रसव या बच्चे के जन्म के समय घाव को खुला होना चाहिए जोकि ख़तने के
समय बंद किया जाता है. बच्चे के दुग्धपान के दौरान सम्भोग प्रतिबंधित होता है तो
ऐसा भी हो सकता है कि योनी के घाव को फिर से बंद कर दिया जाय और फिर पति की इच्छा
के अनुसार दुबारा खोल दिया जाय (फी, 1980).
सुन्नत के ज़रिये महिलाओं को अंग-भंग का शिकार
बनाने की यह अमानवीय प्रथा विश्व के लगभग चालीस देशों में प्रचलित है जिनमें से
प्रमुख हैं – नाइजीरिया, इथियोपिया, सूडान, और केन्या. संयुक्त राष्ट्र जनसँख्या
कोष की रपट के मुताबिक विश्व भर में हर साल लगभग बीस लाख लड़कियां सुन्नत के नाम पर
की गई बर्बरता की पीड़ा झेल रहीं हैं. यह बर्बर प्रथा अफ्रीका के पश्चिमी तट के
देशों, अरब प्रायद्वीप के दक्षिण भागों, फारस की खाड़ी के आस-पास तथा अन्य यूरोपीय
एवं उत्तर अमेरिका के देशों के विभिन्न जातीय समुदायों में प्रचलित है (अरोड़ा,
2009). अफ़्रीकी देश की महिलाएं जोकि अन्य देशों में हैं, जैसे इंग्लैण्ड और ब्रिटेन में भी उन्हें इस प्रथा का सामना
करना पड़ रहा है. जनसंख्या सन्दर्भ ब्यूरो(Population
Reference Bureau) द्वारा Female Genital Mutilation/Cutting
पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत है जिसमें
उन क्षेत्रों और ख़तने की प्रतिशतता को दर्शाया गया है –
SURVEY/YEAR
|
PREVELENCE BY
GEOGRAPHICAL AREA (%)
|
||
URBAN
|
RURAL
|
||
Benin
|
DHS 2011-12
|
5.5
|
8.8
|
Burkina Faso
|
DHS 2010
|
68.7
|
78.4
|
Cameroon
|
DHS 2004
|
0.9
|
2.1
|
Central African Rep.
|
MICS 2010
|
18.1
|
28.7
|
Chad
|
MICS 2010
|
45.5
|
43.8
|
Cote d’lvoire
|
DHS 2011
|
37.7
|
38.8
|
Djbouti
|
MICS 2006
|
93.1
|
95.5
|
Egypt
|
DHS 2008
|
85.1
|
95.5
|
Eritrea
|
DHS 2002
|
86.4
|
90.5
|
Ethiopia
|
DHS 2005
|
68.5
|
75.5
|
Gambia
|
MICS 2010
|
74.6
|
78.1
|
Ghana
|
MICS 2011
|
2.5
|
5.3
|
Guinea
|
DHS 2005
|
93.9
|
96.4
|
Guinea-Bissau
|
MICS 2010
|
41.3
|
57.2
|
Iraq
|
MICS 2011
|
9.0
|
5.8
|
Kenya
|
DHS 2008-09
|
16.5
|
30.6
|
Liberia
|
DHS 2007
|
39.5
|
72.0
|
Mali
|
MICS 2010
|
89.1
|
88.2
|
Mauritania
|
MICS 2011
|
57.2
|
80.5
|
Niger
|
DHS 2012
|
1.2
|
2.1
|
Nigeria
|
MICS 2011
|
32.6
|
23.8
|
Senegal
|
DHS 2010 -11
|
23.4
|
27.8
|
Sierra Leone
|
MICS 2010
|
80.7
|
92.4
|
Somalia
|
MICS 2006
|
97.1
|
98.4
|
Sudan
|
MICS 2010
|
83.5
|
89.8
|
Tanzania
|
DHS 2010
|
7.8
|
17.3
|
Togo
|
MICS 2010
|
2.9
|
4.6
|
Uganda
|
MICS 2011
|
1.4
|
1.4
|
Yemen
|
PAPFAM 2003
|
33.1
|
40.7
|
Source: Population
Reference Bureau
आंकड़ों
के मुताबिक, चांड, माली और नाइजीरिया को छोड़कर अफ्रीका के अधिकतर देशों में
महिलाओं की सुन्नत (ख़तना) की प्रतिशतता शहरी क्षेत्रों के मुक़ाबले ग्रामीण
क्षेत्रों में अधिक है. इन सभी देशों में से सबसे अधिक प्रतिशतता दर्शाने वाला देश
सोमालिया है.इस रिपोर्ट के मुताबिक पहले, दुसरे एवं तीसरे स्थान पर क्रमशः
सोमालिया, गीनिया एवं इजिप्ट हैं. आंकड़ों की प्रतिशतताको देखकर ही अंदाजा लगाया जा
सकता है कि अफ़्रीकी देशों में महिलाओं की सुन्नत जैसी कुप्रथा कितने वृहद स्तर पर
फैली हुई है .
विश्वा स्वास्थ संगठन (2007) ने महिला
सुन्नत को चार प्रकार का बताया है- 1. क्लिटोरिया को अंशतः या पूरी तरह से कटा
जाता है 2. क्लिटोरिया एवं लिबिया मनोरा को पूरी तरह कटा जाता है. 3. लेबिया मनोरा
या मेजोर को पकड़कर सिल दिया जाता है. 4. स्त्री जननांग के साथ अन्य नुकसान देह क्रियाकलाप
जिसमें छिलना दागना इत्यादि शामिल है. विशिष्ट रूप से, पारंपरिक दाइयाँ इस कार्य
को अंजाम देती हैं, लेकिन कुछ देशों में चिकित्सकों द्वारा भी सुन्नत कराया जाता
है. सुन्नत करने के लिए ब्लेड या कांच के टुकड़े का इस्तेमाल किया जाता है. अगर डॉक्टर
सुन्नत करता है तो एनेस्थीसिया का इस्तेमाल करता है. रक्तस्त्राव को रोकने के लिए
तरह-तरह की चीज़े रगड़ दी जातीं हैं जिनसे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. ख़तना लड़कियों
और महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ पर बहुत ही गंभीर प्रभाव डालता है.
मुख्यतः उन महिलाओं /लड़कियों का जिनके क्लिटोरिया और लीबिया मनोरा दोनों को काट
तथा सिल दिया जाता है. विश्व स्वास्थ संगठन (2006) के अध्ययन के मुताबिक, महिलाओं
का ख़तना (Female genital mutilation/cutting) प्रसव की जटिलताओं को बढ़ाता है और
यहाँ तक की मातृ मृत्यु भी हो जाती है. इसके अलावा और भी कई समस्याएं जैसे- भयानक
दर्द, नकसीर, टिटनेस, संक्रमण, बाँझपन, रसौली और फोड़ा, पेशाब सम्बन्धी असंयम और
मनोवैज्ञानिक और सम्भोग सम्बन्धी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. लड़कियों का ख़तना
करने की उम्र मुख्यतः चार वर्ष से लेकर दस वर्ष के बीच की होती है, हालाँकि कुछ
संस्कृति में जन्म के कुछ दिन बाद ही या लड़कियों की शादी से कुछ दिन पहले भी ख़तना
कराया जाता है.जनसंख्या रेफरेंस ब्यूरो (2013) ने अपनी रिपोर्ट में आयु के आधार पर
महिला ख़तने का आंकड़ा प्रस्तुत किया, जिसमें 29 देशों में 15-49, 15-19, एवं
45-49 वर्ष की लड़कियों/महिलाओं में ख़तने की दर को दर्शाया है. जोकि इस तालिका के
माध्यम से दर्शाया गया है-
SURVEY/YEAR
|
PREVELENCE BY AGE (%)
|
|||
15-49
|
15-19
|
45-49
|
||
Benin
|
DHS 2011-12
|
7.3
|
2.0
|
12.0
|
Burkina Faso
|
DHS 2010
|
75.8
|
57.7
|
89.3
|
Cameroon
|
DHS 2004
|
1.4
|
0.4
|
2.4
|
Central African Rep.
|
MICS 2010
|
24.2
|
17.9
|
33.8
|
Chad
|
MICS 2010
|
44.2
|
41.0
|
47.6
|
Cote d’lvoire
|
DHS 2011
|
38.2
|
31.3
|
46.9
|
Djbouti
|
MICS 2006
|
93.1
|
89.5
|
94.4
|
Egypt
|
DHS 2008
|
91.1
|
80.7
|
96.0
|
Eritrea
|
DHS 2002
|
88.7
|
78.3
|
95.0
|
Ethiopia
|
DHS 2005
|
74.3
|
62.1
|
80.8
|
Gambia
|
MICS 2010
|
76.3
|
77.7
|
79.0
|
Ghana
|
MICS 2011
|
3.8
|
1.5
|
6.4
|
Guinea
|
DHS 2005
|
95.6
|
89.3
|
99.5
|
Guinea-Bissau
|
MICS 2010
|
49.8
|
48.4
|
50.3
|
Iraq
|
MICS 2011
|
8.1
|
4.9
|
10.3
|
Kenya
|
DHS 2008-09
|
27.1
|
14.6
|
48.8
|
Liberia
|
DHS 2007
|
58.2
|
35.9
|
78.9
|
Mali
|
MICS 2010
|
88.5
|
87.7
|
88.5
|
Mauritania
|
MICS 2011
|
69.4
|
65.9
|
75.2
|
Niger
|
DHS 2012
|
2.0
|
1.4
|
1.4
|
Nigeria
|
MICS 2011
|
27.0
|
18.7
|
38.0
|
Senegal
|
DHS 2010 -11
|
25.7
|
24.0
|
28.5
|
Sierra Leone
|
MICS 2010
|
88.3
|
70.1
|
96.4
|
Somalia
|
MICS 2006
|
97.9
|
96.7
|
99.1
|
Sudan
|
MICS 2010
|
87.6
|
83.7
|
89.1
|
Tanzania
|
DHS 2010
|
14.6
|
7.1
|
21.5
|
Togo
|
MICS 2010
|
3.9
|
1.1
|
6.7
|
Uganda
|
MICS 2011
|
1.4
|
1.0
|
1.9
|
Yemen
|
PAPFAM 2003
|
38.2
|
-
|
-
|
Source: Population Reference Bureau
जैसा
की स्पष्ट है उपरोक्त तालिका को आयु के आधार पर तीन श्रेणी में बांटा गया है. पहला
15-49 वर्ग, दूसरा 15-19, तीसरा 45-49. इन तीनों आयु वर्गों को देखकर स्पष्ट होता
है की तीसरे वर्ग (जोकि 45-49 वर्ष की महिलाओं का है) में सुन्नत की प्रतिशतता दर
सभी देशों में अधिक है तथा 15-19 आयु वर्ग में उससे थोडा कम है. इन तीनों वर्गों
में सोमालिया में सबसे महिला सुन्नत की दर सबसे अधिक एवं युगांडा में ख़तने की दर
सबसे कम है.
Christine De Saint Genois Grand
Breucq जोकि ग्लोबल अलायंस अगेंस्ट फीमेल जेनिटल म्यूटीलेशन की ब्रांड एम्बेसडर
हैं, कहती हैं कि औरतें तो पहले से ही भेदभाव, शोषण, हिंसा जैसी अनेक समस्याओं से
जुझ रही हैं लेकिन अब उनकी शारीरिक अखंडता पर प्रहार कभी नहीं. हमें इसके खिलाफ
एकजुट होकर इसको ख़त्म करना होगा और लोगों की अभूतपूर्व मानसिकता को बदलना होगा.
क्रिस्टिन महिलाओं के अधिकारों को लेकर लड़ रही हैं. Paula Heredia
द्वारा निर्देशित फिल्म अफ्रीका राइजिंग एक डाक्युमेंटरी फिल्म है जिसमें
एफ़.जी.एम. को पूरे अफ्रीका में ख़त्म करने के लिए जमीनी स्तर पर चल रहे आन्दोलनों
को दिखाया गया है. विश्व भर में इस घृणित प्रथा को ख़त्म करने का प्रयास तो किया जा
रहा है लेकिन अभी तक इस मामले में कुछ खास सफलता नहीं पाई जा सकी है. Equality now लड़कियों और महिलाओं के मानवाधिकार के संरक्षण के
लिए काम कर रही है. इस संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका में
506,795 लड़कियों एवं महिलाओं पर खतने का संकट है तथा 50 में
से 26 राज्यों में महिला ख़तना के विरुद्ध कोई कानून नहीं है. हाल ही के वर्ष 2014 में इस्लामिक स्टेट आफ इराक एंड सीरिया (आई.एस.आई.एस.)के जिहादी आतंकवादियों ने 11 से 46
साल की सभी औरतों का ख़तना करने का फ़तवा जारी किया है जबकि यह प्रथा इराक में
सामान्य नहीं है.
इस
अमानवीय प्रथा को समाप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोशिश हो रही है.
1994 में काहिरा में संपन्न अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन में यह स्वीकार किया गया कि
महिला सुन्नत मानवाधिकार का उल्लंघन है और इससे महिलाओं स्वास्थ्य व जीवन को खतरा
है. कई देशों में इस प्रथा पर रोक लगाने के लिए कानून भी बनाए गए हैं(अरोड़ा, 2009).सवाल यह उठता है की आख़िर कब तक और किस हद तक औरतों को
अमानवीयता सहनी पड़ेगी. भेदभाव, बलात्कार, शोषण की शिकार तो वह सदियों से बन ही रही
हैं. साथ ही खतने जैसी दर्दनाक परिस्थितयों का सामना भी करना पड़ रहा है. निष्कर्ष
यह निकलता है कि जिन देशों में सुन्नत की प्रथा को अपनाया जा रहा है वहां की सरकार
को इसे खत्म करने के लिए कठोर कदम उठाना चाहिए तथा महिला मानवाधिकार संगठन को इसके
दोषियों को सरकार से कड़ी सज़ा का आह्वाहन करना चाहिए.
सन्दर्भ सूची:-
· Assaad, M.B.(Jan 1980). Circumcision in Egypt : Social Implications,
current Research and Prospects for Change. Population Council.
·
Ahmad, Imad-ad-Dean(2000).
Female Genital Mutilation: An Islamic Perspective. Minaret of Freedom
Institute.
·
अरोड़ा,
सुधा (2009). आम औरत जिंदा सवाल . सामायिक प्रकाशन, नई दिल्ली
·
Fee, Elizabeth (1980).
Review. Women Sex and Sexuality. University of Chicago Press.
·
Female Genital
Mutilation/Cutting: Data and Trend 2014. Population Reference Bureau
Websites:-
आरिफा खातून
शोधार्थी, पी-एच.डी (मानव विज्ञान)
मानव विज्ञान विभाग
महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय
Mob-7387135386
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