इन्द्र प्रताप यादव 'मनीष ' की शायरी
उसने जब-जब मुझे भुलाया होगा
मैं याद तो ज़रूर उसे आया होगा |
बेशक़ ताजमहल खूबसूरत है, ऐ मनीष !
पर कितना खूबसूरत होगा वो
जिसने ताजमहल बनाया होगा | १|
तू किसी प्यासे की प्यास की कहानी तो नहीं
तमाम जल समेटे हो तुम अपने अंदर पर
तू एक भी बून्द गंगा का पानी तो नहीं |२|
वो अपने लिए जिए हम उनके लिए मरते रहे
छूट न जाये साथ इस बात से डरते रहे
चाह न सके खुश रहकर भी वो हमें और
कष्ट सहकर भी उनसे हम प्यार करते रहे
कि ज़िन्दगी में एक खता हमसे भी हुई
धुंधला था चेहरा और हम आईना साफ करते रहे | ३|
उनके बिना एक भी पल जिया नहीं जाता
दिल के टूटे हुए टुकड़ों को सिया नहीं जाता
जाने कैसे कटेगा तन्हा ज़िन्दगी का ये सफर
मर -मर के ज़िन्दगी का ज़हर पिया नहीं जाता
हो जाते हैं कुछ फैसले सिक्के उछाल कर
हर फैसला सिक्का उछाल कर किया नहीं जाता | ४|
कोई टिप्पणी नहीं:
सामग्री के संदर्भ में अपने विचार लिखें-