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नारी

नारी - ओंम प्रकाश नौटियाल

प्रबल मोह पाश से
स्नेहसिक्त मिठास से
अर्चना उपवास से
सदभावना विश्वास से
निर्मल पावन मन से,
सृष्टि के उदगम से
नारी ने सबको
अपने पास सदा रक्खा है !

कर्म धर्म जाप हो
क्रंदन, प्रलाप हो
दुख हो विलाप हो
किसी का संताप हो
सर्वहारी नारी ने,
पत्नी महतारी ने,
बेटी , बहन प्यारी ने,
जीवन में सबके
विश्वास जगा  रक्खा है,
सृष्टि के प्रारंभ से
अपने पास सदा रक्खा है !

बंधकर कई बंधन में
इस जग प्रांगण में
निष्ठ, शिष्ट आचरण से
द्दढ़ता से प्रण से,
सबके जीवन में
सुवासित सा सुन्दर
पलाश खिला रक्खा है,
नारी ने सदियों से
अपने पास सदा रक्खा है !
-ओम प्रकाश नौटियल
बडौदा, मोबा.9427345810
{पुस्तक "पावन धार गंगा है" से }

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