विश्वहिंदीजन चैनल को सबस्क्राइब करें और यूजीसी केयर जर्नल, शोध, साहित्य इत्यादि जानकारी पाएँ

सबसे बड़ा पतंगबाज




मकर संक्रांति पर
रंग, बिरंगी पतंगों से आच्छादित
अंबर का क्या कहना,
लहराती इठलाती पतंगों का
एक अदा से घूम जाना ,
मदमस्त हो कभी 
उठ जाना आकाश में
या गोता लगा कर 
नीचे आना अनायास ही ,

हर पतंग बंधी है
एक डोर से,
अपने सूत्रधार की 
उंगलियों की पोर से,
सूत्रधार नहीं संभाल पाता
अपनी इकलौती पतंग ,
कोई काट देता है डोर,
उठता है शोर,
और पतंग हो जाती है 
बेडोर , बेजोर 
गिर जाती है धरा पर, 
या लटक जाती है 
किसी वृक्ष पर,

सोचता हूं 
ऊपरवाले सूत्रधार ने
थामी हैं असंख्य प्राणियों की डोर,
और नचा रहा है उन्हें
इधर उधर सभी ओर,
फिर भी कोई नहीं कर सकता
स्वयं को उसकी डोर से अलग ,
न किसी की सामर्थ्य
कि काट सके किसी और की डोर
जब तक कि ’वह’ सूत्रधार न चाहे ,

सचमुच कोई नहीं है
इस विश्व में 
उस ईश से बडा पतंगबाज,
वही है सरताज।
-ओंम प्रकाश नौटियाल 
(सर्वाधिकार सुरक्षित)

कोई टिप्पणी नहीं:

सामग्री के संदर्भ में अपने विचार लिखें-