गाँधी !
गाँधी देखें स्वर्ग से,
हाल देश का आज,
घृणा से बंटता हुआ,
अपना ’सभ्य’ समाज,
अपना ’सभ्य’ समाज,
चंद के वारे न्यारे,
शेष करें संघर्ष,
देखते दिन में तारे,
जन मन में अब सोच,
यहाँ बस कुछ की चाँदी,
यही था क्या स्वराज?
लड़े जो पाने गाँधी !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
(सर्वाधिकार सुरक्षित )
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