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धूप का मोल

सर्दी में जिस धूप का,
मोल चढ़ा आकाश,
गर्मी की दोपहर में,
इकली पड़ी उदास,

इकली पड़ी उदास,
कोई पास न जाए,
व्यर्थ सहे क्यों ताप,
अगन में तन झुलसाए,

यही चाहते लोग,
ताप उतरे अब जल्दी,
वर्षा आए शीघ्र,
और फिर मीठी सर्दी !
-ओम प्रकाश नौटियाल
(पूर्व प्रकाशित - सर्वाधिकार सुरक्षित )
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