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अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी: संजा लोकोत्सव 2016, 1-2 अक्टूबर 2016, उज्जैन



अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी: संजा लोकोत्सव 2016
1-2 अक्टूबर 2016, उज्जैन
विषय: लोक एवम् जनजातीय साहित्य और संस्कृति: परम्परा और युगबोध के परिप्रेक्ष्य में
आत्मीय आमन्त्रण 
मान्यवर, 
देश की प्रतिष्ठित संस्था प्रतिकल्पा द्वारा प्रतिवर्षानुसार आयोजित संजा लोकोत्सव इस वर्ष 25 सित. से 2 अक्टूबर 2016 तक संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, संगीत नाटक अकादेमी,नई दिल्ली, दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर, संस्कृति संचालनालय, म प्र शासन के सौजन्य से सम्पन्न होने जा रहा है। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी दिनांक 1-2 अक्टूबर 2016 तक 'लोक एवम् जनजातीय साहित्य और संस्कृति: परम्परा और युगबोध के परिप्रेक्ष्य में' पर संकल्पित है।इस महत्त्वपूर्ण संगोष्ठी में देश-विदेश के प्रख्यात मनीषी, संस्कृतिकर्मी, साहित्यकार, समाजसेवी, विशेषज्ञ, शिक्षाविद, शोधकर्ता आदि द्वारा व्याख्यान एवं शोध आलेख प्रस्तुति होगी।
*विस्तृत नियम निर्देश*
शोध आलेख मालवी, निमाड़ी, बुन्देली, बघेली, छत्तीसगढ़ी, मेवाड़ी, मारवाड़ी, हाड़ौती, मैथिली, भोजपुरी, अवधी, ब्रजी, हरियाणवी, हिमाचली, डोगरी, कश्मीरी, पंजाबी, गुजराती, मराठी, ओड़िया, कोंकणी, बांग्ला, तमिल, कन्नड़, मलयालम, तेलुगु आदि सहित विविध लोकांचलों के लोक साहित्य/लोक संस्कृति को केंद्र में रख कर तैयार किए जा सकते हैं।
विविध जनजातीय समुदायों, यथा भील, भिलाला, बारेला, संथाल, गोंड, मुंडा, खड़िया, हो, बोडो, खासी, गरासिया, मीणा, उरांव, बिरहोर, सहरिया, कोरकू, बैगा, अबूझमाड़िया आदि के मौखिक साहित्य और संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में आलेख तैयार किए जा सकते हैं।
*प्रमुख विचारणीय विषय:*
लोक साहित्य: परम्परा और युगबोध 
जनजातीय साहित्य: परम्परा और युगबोध 
लोक संस्कृति: परम्परा और युगबोध 
जनजातीय संस्कृति: परम्परा और युगबोध 
लोक साहित्य: परम्परा और इतिहास के सन्दर्भ में 
मालवा एवम् अन्य अंचलों की विशिष्ट लोक परम्पराएँ, यथा संजा, माच, हीड़, गणगौर, मांडणा, चित्रावण, छल्ला, पारसी आदि।
जनजातीय साहित्य:परम्परा और इतिहास के सन्दर्भ में
लोक संस्कृति:परम्परा और इतिहास के सन्दर्भ में 
जनजातीय संस्कृति:परम्परा और इतिहास के सन्दर्भ में
लोक साहित्य और मानव मूल्य मीमांसा
लोक कला, संस्कृति और मानव मूल्य
लोक संस्कृति: परम्परा और मूल्य चेतना
लोक एवम् जनजातीय साहित्य में पर्यावरणीय चेतना
मूल्यों के प्रसार में लोक साहित्य/संस्कृति/परम्पराओं की भूमिका 
लोकसाहित्य, लोकसंस्कृति और जीवन मूल्य
लोक एवम् जनजातीय साहित्य की अवधारणा और युग बोध
इसी प्रकार अन्य प्रासंगिक विषय भी हो सकते हैं। आलेख वाचक किसी खास आयाम/विधा/अंचल को लेकर शोध आलेख तैयार कर ईमेल/व्हाट्स एप के जरिये विषय, पंजीयन आदि के सम्बन्ध में यथाशीघ्र सूचित करें। विस्तृत शोध पत्र/शोध सार ईमेल द्वारा 30 सितम्बर 2016 तक प्रेषित करें।
*पंजीयन शुल्क:
प्राध्यापक/ शिक्षाविद् वर्ग 300 रु 
शोधार्थी/विद्यार्थी वर्ग 200 रु
पंजीयन राशि Pratikalpa Sanskratik Sanstha को देय ICICI Bank Teliwada Branch Ujjain के बैंक A/C No 658501410588 में दिनांक 30 सितम्बर 2016 तक सीधे या ई- बैंकिंग द्वारा जमा करवा सकते हैं।
संगोष्ठी सत्र:
स्थान : कालिदास अकादमी, कोठी रोड, उज्जैन (म.प्र.) 456 010
दि. 1 अक्टूबर 2016, शनिवार
उद्घाटन समारोह दोपहर 2:00
प्रथम तकनीकी सत्र दोपहर 3:00
सांस्कृतिक सन्ध्या रात्रि 7:00
(हरसिद्धि मन्दिर प्रांगण)
दि. 2 अक्टूबर 2016, रविवार
द्वितीय तकनीकी सत्र: प्रातः 10:30
समापन सत्र, लोक संस्कृति सम्मान एवम् सांस्कृतिक सन्ध्या: सायं 7:30

ईमेल और मोब. सम्पर्क
*प्रो.शैलेन्द्रकुमार शर्मा* मुख्य समन्वयक
आचार्य, हिन्दी अध्ययनशाला एवं कुलानुशासक, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन(म.प्र.) 
मो 09826047765
Email shailendrasharma1966@gmail.com

डॉ पल्लवी किशन निदेशक प्रतिकल्पा
मो 09424065841
Email pratikalpaujjain@gmail.com
गुलाबसिंह यादव संस्थाध्यक्ष 9407131337
कुमार किशन संस्थासचिव 9407126842 
संयोजकगण: डॉ. जगदीशचन्द्र शर्मा, डॉ मोहन बैरागी, डॉ. भेरूलाल मालवीय, डॉ. रत्ना कुशवाह, डॉ. मोहसिन खान, डॉ. रेखा कौशल, डॉ पराक्रम सिंह, डॉ रूपा भावसार, सुश्री श्वेता पण्ड्या, श्रीमती रूपाली सारये।

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