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पाठालोचन की प्रविधि : समस्याएँ और संभावनाएं विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी


केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा तथा भारतीय हिन्दी परिषद के तत्त्वावधान में पण्डित जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय, बाँदा में पाठालोचन की प्रविधि : समस्याएँ और संभावनाएं विषय पर डॉ अश्विनीकुमार शुक्ल के संयोजन में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समारम्भ हुआ। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर नन्दकिशोर पांडेय, Nand Kishore Pandeyअध्यक्ष, वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग एवं निदेशक, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा ने की। इस सत्र में बीज वक्तव्य प्रोफेसर हरिशंकर मिश्र ने दिया, मुख्य आतिथ्य प्रोफेसर राजमणि शर्मा, विशिष्ट आतिथ्य प्रोफेसर योगेंद्रप्रताप सिंह, डॉ कन्हैया सिंह, डॉ रामानन्द शर्मा और प्रोफेसर दयाशंकर शुक्ल ने सुशोभित किया। सत्र का संचालन प्रोफेसर नरेन्द्र मिश्र ने किया। प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर योगेंद्रप्रताप सिंह, प्रोफेसर नरेश मिश्र, प्रोफेसर ललिताम्बा और डॉ कन्हैया सिंह के अध्यक्षमण्डल ने की। इस अवसर पर डॉ. पुनीत बिसारिया, डॉ बृजेश पांडेय, डॉ सियाराम और डॉ मधुसूदन मिश्र ने व्याख्यान दिए। मैने अपने व्याख्यान में पाठालोचन का नाम पाठान्वेषण रखने का सुझाव दिया तथा पाठलोचक के मानक पाठ को ही पाठ्यक्रम में शामिल करने पर ज़ोर दिया। मेरा सुझाव था कि पांडुलिपियों का वंशवृक्ष बनाने तथा प्राचीनता निर्धारण में फॉरेंसिक साइंस की सहायता ली जानी चाहिए। इस सत्र का प्रतिवेदन प्रोफेसर पवन अग्रवाल ने प्रस्तुत किया तथा सफल संचालन डॉ अमरेन्द्र त्रिपाठी ने किया।

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