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अमरीकी कविता: शैलेन्द्र चौहान



अमरीकी कविता


शैलेन्द्र चौहान 



प्रथम महायुद्ध के पूर्व ही अमरीका की पूंजीवादी व्यवस्था की आलोचना होने लगी थी। अनेक लेखकों ने समाजवाद को मुक्ति के मार्ग के रूप में अपनाया। ऐसे लेखकों के अग्रणी थियोडोर ड्रेज़र, जैक लंडन और अप्टन सिंक्लेयर थे। एडविन मार्खम और विलयम ह्वॉन मूडी की कविताओं में भी वही स्वर है। वाल्ट ह्विटमन को छोड़कर १९वीं सदी के अंतिम और २०वीं सदी के प्रारंभ के वर्ष कविता में साधारण उपलब्धि से आगे न जा सके। अपवाद स्वरूप एमिली डिकिन्सन (१८३०-१८८६) है जो निश्चय ही अमरीका की सबसे बड़ी कवयित्री है। उसकी कविताओं का स्वर आत्मपरक है और उनमें उसके ग्रामीण जीवन और असफल प्रेम के अनुभव तथा रहस्यात्मक अनुभूतियाँ अभिव्यक्त हुई हैं। डिकिन्सन की कविता में यथार्थ, विनोद, व्यंग्य और कटाक्ष, वेदना और उल्लास की विविधता है। चित्रयोजना, सरल और क्षिप्र भाषा, खंडित पंक्तियों और कल्पना की बौद्धिक विचित्रता में वह आधुनिक कविता के अत्यंत निकट है। आधुनिक अमरीकी कविता का प्रारंभ एडविन आलिंगटन रॉबिंसन (१८६९-१९३५) और राबर्ट फ्ऱास्ट (१८७४-१९६३) से होता है। परंपरागत तुकांत और अतुकांत छंदों के बावजूद उनका दृष्टिकोण और विषयवस्तु आधुनिक है; दोनों में अवसादपूर्ण जीवन के चित्र हैं। रॉबिंसन में अनास्था का मुखर स्वर है। फ्ऱास्ट की कविता की विशेषताएँ अंतरंग शैली में साधारण अनुभव की अभिव्यक्ति, संयमित, संक्षिप्त और स्वच्छ वक्तव्य, नाटकीयता और हास्य तथा चिंतन का सम्मिश्रण है। पो और डिकिन्सन रूपवादी शैली से प्रभावित अन्य उल्लेखनीय कवि वैलेस स्टीवेंस (ज. १८७९), एलिनार वाइली (१८८५-१९२८), जॉन गोल्डफ्लेचर (१८८६-१९५०) और मेरियन मूर (ज. १८८७) हैं। हैरियट मुनरो (१८६०-१९३६) द्वारा शिकागो में स्थापित पोएट्री : ए मैगज़ीन ऑव वर्स अमरीकी कविता में प्रयोगवाद का केंद्र बन गई। इसके माध्यम से ध्यान आकर्षित करनेवाले कवियों में वैचेल लिंडसे (१८७९-१९३१), कार्ल सैंडबर्ग (ज. १८७८) और एडगर ली मास्टर्स (१८६९-१९५०) प्रमुख हैं। ये ग्रामों, नगरों और चरागाहों के कवि हैं। मास्टर्स कविता में गहरा विषाद है, लेकिन सैंडबर्ग की प्रारंभिक कविताओं में मनुष्य में आस्था का स्वर ही प्रधान है। हार्ट क्रेन (१८९९-१९३२) में ह्विट्मन का रोमानी दृष्टिकोण है। यह रोमानी दृष्टिकोण नाओमी रेप्लांस्को, जॉन गार्डन, जॉन हाल ह्विलॉक, आइवर विंटर्स और थियोडोर रोथेश्क की कविताओं में भी है। आर्किबाल्ड मैक्लीश (ज. १८९२) की कविताओं में सर्वहारा के संघर्षों का चित्र है। स्टीफेन विंसेंट बेने (१८९८-१९४३) व्यापक मानव सहानुभूति का कवि है। उसके वैलड अत्यंत सफल हैं। होरेस ग्रेगरी (ज. १८९८) और केनेथ पैचेन (ज. १९११) की कविताओं पर भी ह्विट्मन का प्रभाव स्पष्ट है। दूसरी ओर रॉबिंसन जेफर्स (ज. १८८७) है जो अपनी कविताओं में मनुष्य के प्रति आक्रोशपूर्ण घृणा और प्रकृति के दारुण दृश्यों से प्रेम के लिय प्रसिद्ध है। एमी लॉवेल (१८७४-१९२५) और एच.डी. (हिल्डा डूलिटिल : ज. १८८६) ने इमेजिस्ट काव्यधारा का नेतृत्व किया। एज़रा पाउंड (ज.१८८५) और टी.एस. इलियट (१८८८-१९६५) ने आधुनिक अमरीकी कविता में प्रयोगवाद पर गहरा असर डाला। उनसे और "मेटाफ़िज़िकल' शैली के रूपवाद से प्रभावित कवियों में जान क्रोवे रैंसम (ज. १८८८), कॉनरॉड आइकेन (ज. १८८९), रॉबर्ट पेन वैरेन (ज. १९०५), ऐलेन टेट (ज. १८९९), पीटर वाइरेक (ज. १९१६), कार्ल शैपीरो (ज. १९१३), रिचर्ड विल्बुर (ज. १९२१), आर.पी. ब्लैकमूर (ज. १९०४) तथा अनेक अन्य कवि हैं। अभिव्यक्ति में घनत्व, चमत्कार और दीक्षागम्यता उनकी विशेषताएँ हैं। इनके अनुसार "कविता का अर्थ नहीं, अस्तित्व होना चाहिए।" प्रयोगवादियों में ई.ई. कर्मिग्ज़ (ज. १८९४) पंक्तियों के प्रारंभ में बड़े अक्षरों को हटाने तथा विरामों और पंक्तियों के विभाजन में प्रयोगों के लिए प्रसिद्ध हैं। २०वीं सदी की कवयित्रियों में सारा टीज़डेल (१८९४-१९३३) और एड्ना सेंट विंसेंट मिले (१८९२-१९५०) अपने सानेटों और आत्मपरक गीतों की स्पष्टोक्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं। मिले में प्रखर सामाजिक चेतना है। जेम्स वेल्डेन जॉन्सन (१८७१-१९३८), लैंगस्टेन ्ह्रूाजेज़ (ज. १९०२) और काउंटी क्लैन (१९०३-४६) नीग्रो कवि हैं जिन्होंने नीग्रो जाति की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया। द्वितीय महायुद्धोत्तर कालीन अमरीकी कविता बीट अथवा बीटनिक कवियों एवं विद्योचित कवियों के पारस्परिक संघर्ष एवं विरोध को लक्षित करती है। राबर्ट लोवल के शब्दों में यह संघर्ष अनगढ़ एवं परिष्कृत कविता के बीच पारस्परिक विरोध का संघर्ष है। इस वर्गीकरण के बावजूद हम देखते हैं कि इस २५ वर्ष की अवधि में अनेक बीटनिक कवि विद्योचित बन गए तथा अनेक विद्योचित कवियों ने बीटनिक शैली को अपनाया। बीटनिक कवियों में समाज के प्रति विद्रोह की भावना है। वे सभी सामाजिक संस्थाओं को घृणा की दृष्टि से देखते हैं और अपने लिए आत्यंतिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता चाहते हैं। वे अति मुक्तछंद में मानमाने ढंग से लिखते हैं। काव्य उनकी जीवनशैली का मात्र उपफल है। वे मदिरा, नशा, यौन प्रयोगों, एवं मादक द्रव्यों की सहायता से भावोद्दीपन की तीक्ष्णता को बढ़ाने का प्रयास करते हैं एवं नीग्रो तथा जैज़ संगीतज्ञों के संत्संग में भगवद्दर्शन की आशा रखते हैं। अपनी कविताओं को वे विलियम कार्लास विलियम्ज़ अथवा जैक केरुआक को समर्पित करते हैं। जैन, बौद्ध, एवं पूर्वी संस्कृति के तांत्रिक अथवा "असामाजिक' पक्षों से आकर्षित ये नए बोहिमियाई "आवारे' हैं जो समाज का विरोध एवं आदिमवाद, मूलवृत्ति, शक्ति तथा रक्त की उपासना करते हैं। काव्य में बीटनेक शैली के प्रमुख लेखक हैं ऐलन गिंसबर्ग, ग्रेगोरि कोरसो, गैरी स्नाइडर तथा लारेंस फ़लिगेटी। केनेथ रेक्सराथ, केनथ पैचन, राबर्ट डंकन, डेनिस लेवरतोव, चार्ल्ज़ ओल्सन, राबर्ट क्रीली जडसन क्रूज तथा जिल आर्लोवित्स की कविताओं पर भी बीटनिक शैली का प्रभाव पड़ा है। बीट कविता की आसन्नता एवं ओज मानवी अस्तित्व के नंगे चरित्र को गति देता है।

ऐलन गिंसबर्ग की हाउल (१९५६) अमरिकी समाज के नरकवासी कवि द्वारा मनुष्य के आधुनिक अस्तित्व का उच्छेदन करती है। उनकी पंक्तियाँ प्रेम, अथवा क्रोधरूपी कोड़े की फटकार से आधुनिक जगत्‌ के सारे संत्रास एवं विभीषिका का स्पर्श कर उनसे आगे ब्रह्मांडी य पवित्रता तक पहुँचती हैं। राजनीतिक, हत्या, पागलपन, स्वापकव्यसनी, समलिंगसंबंध, अथवा तांत्रिक या ज़ेन तटस्थता की विषयवस्तु का भार उनकी पंक्तियाँ सदा ही वहन करने में समर्थ नहीं होती। गिंसबर्ग की कविता की सबसे बड़ी विशेषता उसका रहस्वादी तत्व है। उसका दूसरा प्रकाशन "कैडिश' (१९६०) भी इन्हीं गुणों से युक्त है एवं मनुष्य की संवेदना को अनुभूत यथार्थ के सीमातंक क्षेत्र तक ले जाता है। "बाट' शब्द के प्राय: तीन अर्थ दिए जाते है-(१) समाज का निम्नस्तर जहाँ संस्थाओं एवं परिपाटियों ने दलित कवि को दबा रखा है, (२) जैज़ संगीत की लय एवं ताल जो काव्यसंगीत को उत्प्रेरित करता है, एवं (३) भगवद्दर्शन। ग्रेगरी कोर्सो के "द वेस्टल लेडी आन ब्रैटल', "गैसोलीन', तथा "द हैपी बर्थडे ऑव डेथ' में छंद बीट आदर्श के संनिकट हैं। वह जैज़ के विस्फोटक प्रभाव एवं हिप्स्टर नर्तकों की भाषा तथा शब्दों का अनुकरण करता है। लारंस फलिगेटी के "अ कॉनी' आइलंड ऑव द माइंड' में गली काव्य लिखने का प्रयास किया गया है। कविता को अध्ययन कक्ष के बाहर गलियों में लाया गया है। अन्य बीट कवियों के नाम हैं गे स्नाइडर, फिल वेलन एवं माइकेल मक्लूअर। बीट कविता अमरीका की अंतर्भौम कविता है। बीट ही के समान दो अन्य अंतर्भोम संप्रदाय भी हैं-ब्लैक माउंटन कवि एवं न्यू पार्क कवि। पहले संप्रदाय में चार्ल्ज़ ओलसन, राबर्ट क्रीली, राबर्ट डंकन एवं जानथन विलियम्ज़ आते हैं। दूसरे संप्रदाय के अंतर्गत डेनिस लेवर्तोव, ल राय जोंज़ एवं फ्रैंक ओ' हारा आते हैं। बहुत सारे बीट्निक कवि आत्मसंन्धान के लिये भारत में भी आये थे और हिन्दू धर्म से प्रभावित हुये थे।

२०वीं सदी के अन्य प्रयोगवादियों में मार्क ह्वॉन डोरेन, लियोनी ऐडम्स, रॉबर्ट लॉवेल, हॉबर्ट होरन, जेम्स मेरिल, डब्ल्यू. एस. मर्विन, डेलमोर श्वार्ट्‌ज, म्यूरिएल रुकेसर, विनफ़ील्‌ड टाउनले स्कॉट, एलिज़ाबेथ बिशप, मेरिल मूर, ऑगडेन नैश, पीटर वाइरेक, जान कियार्डी आदि ऐसे कवि हैं जिनपर वाल्ट ह्विट्मन की कविता का आंशिक प्रभाव है। अपेक्षाकृत नए प्रयोगवादियों में जॉन पील विशप, रैंडाल जेरेल, रिचर्ड एबरहार्ट, जॉन बैरिमैन, जॉन फ्रेडरिक निम्स, जॉन मैल्कम ब्रिनिन और हॉवार्ड नेमेरोव हैं। सामाजिक यथार्थ और स्वस्थ जनवादी चेतना को महत्व देनेवाले आधुनिक कवियों में वाल्टर लोवेनफ़ेल्स, मार्था मिलेट, मेरिडेल ले स्यूर, टॉमस मैक्ग्राथ, ईव मेरियम, केनेथ रेक्सरॉथ इत्यादि उल्लेखनीय हैं।



संपर्क : 34/242, सेक्टर -3, प्रताप नगर, जयपुर – 302033 (राजस्थान)
मो. 7838897877, Email : shailendrachauhan@hotmail.com



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