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प्रेम की आवाज


प्रेम की आवाज -ओंम प्रकाश नौटियाल
गीतिका
प्रेम की आ्वाज अब जमाने में
तूतरी सी ज्यों नक्कारखाने में

ढह गए अरमान सुकून चैन के अब
मुद्दतें बीती जिन्हें कमाने में

मनुष्यता की बदल गई परिभाषा
है बहुत ही शान बरगलाने में

ढूंढते विकर्मी धर्म हत्याओं में
गैर बनकर रीझते सताने में

’ओंम ’ ऐसा ही रहा मंजर जो यह
युग लगेंगे फिर बहार आने में
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बड़ौदा , मोबा.9427345810

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