'गुंजन सक्सेना' फ़िल्म समीक्षा - डॉ. पुनीत बिसारिया
गुंजन सक्सेना नेटफ्लिक्स पर आज रिलीज़ हुई फ़िल्म है, जो शौर्य चक्र विजेता कारगिल गर्ल के नाम से विख्यात फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना की बायोपिक है। गुंजन सक्सेना ने लखनऊ में कर्नल अनूप सक्सेना के घर जन्म लिया और हंसराज कॉलेज, दिल्ली से बीएससी करने के बाद भारतीय वायु सेना में भर्ती होने वाली पहली भारतीय महिला पायलट थीं। उन्होंने साथी महिला पायलट श्रीविद्या राजन के साथ मिलकर सन 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों की युद्ध में तैनाती की निगरानी की थी और 40 से अधिक बार युद्धग्रस्त क्षेत्र में जाकर 900 से अधिक घायल एवं शहीद सैनिकों को भारतीय क्षेत्र में वापस लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया था। वह उन प्रथम 25 महिला पायलट में शामिल थीं जिन्हें भारतीय वायु सेना के इतिहास में पहली बार कमीशन किया गया था। उन्होंने सन 2004 तक सेवाएं दी थीं। गुंजन सक्सेना फ़िल्म उनके अपरिमित शौर्य पर आधारित है।
गुंजन सक्सेना फ़िल्म में मुख्य पात्र की भूमिका जान्हवी कपूर ने निभाई है, उनके पिता की भूमिका पंकज त्रिपाठी ने निभाई है और इन दोनों ने अपनी भूमिका को बखूबी निभाया है। इनके अतिरिक्त मानव विज, अंगद बेदी, आयशा रज़ा मिश्रा और विनीत कुमार सिंह ने भी श्रेष्ठ अभिनय किया है। लखनऊ में शूट की गई इस फ़िल्म से अब यह उम्मीद भी बनती है कि उत्तर प्रदेश तथा देश के अन्य राज्यों में भी फ़िल्मों की शूटिंग होगी और फ़िल्म निर्देशक विदेशी लोकेशनों का मोह छोड़ेंगे। धर्मा प्रोडक्शंस के बैनर तले बनी इस फ़िल्म के गीत संगीत भी बेहतर हैं। ये याद भले न रहें लेकिन फ़िल्म की परिस्थितियों को उभारने में सक्षम हैं। शरण शर्मा ने इस फ़िल्म का ठीकठाक निर्देशन किया है। यह फ़िल्म गुंजन सक्सेना के बहाने स्त्री पुरुष भेदभाव, महिला सशक्तिकरण और समाज की रूढ़िवादी सोच को भी मुखर करती है। आज यह देखकर अच्छा लगता है कि दशरथ मांझी, पान सिंह तोमर, मैरीकॉम शकुन्तला देवी आदि के जीवन पर आधारित फिल्में बन रही हैं और इनको पुनः भारतीय जनता याद कर रही है जो आज से बीस साल पहले तक सोचना भी मुश्किल था। मेरी ओर से इस शानदार फ़िल्म को साढ़े तीन स्टार 🌟।
© डॉ पुनीत बिसारिया
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