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विद्यार्थियों के लिए उपयोगी पुस्तक

विद्यार्थियों के लिए एक उपयोगी पुस्तक
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हिन्दी भारोपीय परिवार की प्रमुख भाषा है। यह विश्व की लगभग तीन हजार भाषाओं में अपनी वैज्ञानिक विशिष्टता रखती है। इसके विकास के अनेक चरण रहे हैं और प्रत्येक चरण में इसका स्वरूप विकसित हुआ है। वैदिक संस्कृत, संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश और उसके पश्चात् विकसित उपभाषाओं और बोलियों के समुच्चय से हिन्दी का अद्यतन रूप प्रकट हुआ है, जो अद्भुत है। इस दृष्टि से हिन्दी भाषा के उद्भव और विकास की जानकारी हिन्दी के शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए अति आवश्यक है।

 वर्तमान में हिन्दी को संविधान के द्वारा राजभाषा का पद मिला हुआ है, इस हेतु संवैधानिक प्रावधानों व विभिन्न आयोगों की सिफारिशों को क्रियान्विति का प्रयत्न हुआ है, किन्तु राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी अभी तक समुचित अधिकार प्राप्त नहीं कर पाई है, जो विचारणीय है। उन कारकों का अध्ययन किया जाना चाहिए, जो कि हिन्दी को राष्ट्रभाषा पद पर अधिष्ठित कर सके। साथ ही देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता का विश्लेषण कर उसकी विशेषताओं का सीमांकन किया जाना अपेक्षित है।

 हिन्दी भाषा धीरे-धीरे मानकीकरण की प्रक्रिया से गुजरती हुई अपना स्वरूप स्थिर कर रही है। आज इसका मानक व्याकरण सर्व स्वीकृत है। इसकी शब्द सम्पदा विस्तृत है और शब्द शिल्प भी स्थिर हो चुका है। ऐसी स्थिति में हिन्दी का मानक स्वरूप विवेचना का क्षेत्र है, जिससे हिन्दी की वैज्ञानिकता व सर्वग्राह्यता निर्धारित हो सके। इस आधार पर इस पुस्तक में हिन्दी भाषा के उद्भव, विकास और मानक रूप का सम्यक् विवेचन किया गया है।
 
सादर समर्पित.....

-डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंघवी

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