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रोशनी रखना-दो मुक्तक

 -1-

खिले मुस्कान होठों पर,शक्ल तुम मोहिनी रखना

सर्द आहें छुपाने को, खुशी की ओढनी रखना ,

ले लें न अंधेरे कहीं ,जीवन गिरफ़्त में अपनी

अंधेरों से कहीं छुपा , तनिक सी रोशनी रखना | 



-2-

हुए दीपक कई रोशन, तम यह कम नहीं होता,

कृत्रिम प्रकाश से अब आस का भ्रम नहीं होता,

परिंदे व्योम में कैसे  सुखी स्वछंद उडते हैं

किसी भी धर्म का क्योंकि वहाँ परचम नहीं होता !

-ओंम प्रकाश नौटियाल 

(मेरी पुस्तक "दुक्के चौक्के छक्के " से -सर्वाधिकार सुरक्षित )

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