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जनकृति का नया अंक जारी (अक्टूबर 2020)

 विमर्श केंद्रित बहु-विषयक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'जनकृति' का नया अंक जारी कर दिया गया है। 

जनकृति एक बहु-विषयक अंतरराष्ट्रीय मासिक पत्रिका है। यह एक अव्यावसायिक एवं विशेषज्ञ परीक्षित पत्रिका, जिसका सम्पादन डॉ. कुमार गौरव मिश्रा द्वारा किया जाता है। पत्रिका का प्रकाशन मार्च 2015 से प्राम्भ हुआ और यह पूर्ण रूप से विमर्श केन्द्रित पत्रिका है, जहां विभिन्न क्षेत्रों के विविध विषयों को एकसाथ पढ़ सकते हैं। पत्रिका में एक ओर जहां साहित्य की विविध विधाओं में रचनाएँ प्रकाशित की जाती है वहीं विविध क्षेत्रों के नवीन विषयों पर लेख, शोध आलेख प्रकाशित किए जाते हैं। अकादमिक क्षेत्र में शोध की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनृरूप शोध आलेख प्रकाशित किए जाते हैं। शोध आलेखों का चयन विभिन्न क्षेत्रों के विषय विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है, जो विषय की नवीनता, मौलिकता, तथ्य इत्यादि के आधार पर चयन करते हैं।

जनकृति के माध्यम से हम सृजनात्मक, वैचारिक वातावरण के निर्माण हेतु प्रतिबद्ध है।

नया अंक प्राप्त करने हेतु अंक के आवरण पृष्ठ अथवा लिंक पर क्लिक करें- अक्टूबर 2020



नए अंक की विषय सूची- 

क्रमांक

विषय

पृष्ठ संख्या

1.

Understanding the caste discrimination in Indian media: Dr.  Dharmaraj Kumar

12-20

2.

औपनिवेशिक उत्तर भारत में प्रेस और पत्र-पत्रिकाओं का इतिहास: मनीष कुमार सिंह

21-28

3.

ब्लैक थिएटर आंदोलन में प्रतिरोध: अस्मिता का सौदर्यशास्त्र:  उपासना गौतम

29-34

4.

‘बंबई में का बा’ सदी की भीषण त्रासदी को बयां करता गीत: बृजेश प्रसाद

35-40

5.

चन्द्रकिरण सौनरेक्सा के बाल-नाटक: डॉ. मिथिलेश कुमारी

41-49

6.

21 वीं सदी की आदिवासी हिन्दी कविता में प्रकृति और पर्यावरण के सरोकार के प्रश्न: अनीश कुमार

50-57

7.

कोल समुदाय का ऐतिहासिक संघर्ष : आज और कल: कुमारी मंजू आर्य

58-64

8.

बच्चों की परवरिश के संदर्भ में मानसिक विकास और मानसिक स्वास्थ्य: कमलावती कुमारी

65-69

9.

भारत की भाषिक जातीयता और हिन्दी: डॉ. गोपाल कुमार

70-78

10.

गांधी और राष्ट्रभाषा हिन्दी: शिलाची कुमारी

79-83

11.

वैश्वीकरण के दौर में हिंदी : विस्तार एवं संभावनाएं: नीरज तिवारी

84-89

12.

MARGINALISATION OF INDIGENOUS SCHOOLS IN COLONIAL DELHI,

1910-1947: Akanshi Vidyarthi

90-103

13.

Tracing the Gandhi’s Concept of Education andts Effect on India’s New Education Policy 2020: Shubham Kumar Pati

104-113

14.

वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण प्रभावित स्कूली शिक्षा और प्रभाव न्यूनता के उपाय: प्रदीप सिंह

114-117

15.

हिंदी कहानियों में स्त्री समलैंगिकता का स्वरुप: जैनेन्द्र कुमार

118-123

16.

विभाजन और नारी: आशा

124-128

17.

पर्यावरण संरक्षण में महिलाओं की भूमिका: पूजा यादव

129-135

18.

भारत में महिला सशक्तिकरण: डॉ. शालिनी

136-140

19.

मुस्लिम की भारतीय अस्मिता और रज़ा की रचना दृष्टि: डॉ. सुनील कुमार यादव

141-145

20.

मुंशी ज़का उल्लाह, डिप्टी नज़ीर अहमद व सर सयेद अहमद के  मुस्लिम महिलाओं की शिक्षा पर विचार व कार्य: अब्दुल अहद

146-155

21.

अपने रचना संसार में आज भी जीवित हैं- ‘सुषम बेदी’: नेहा गौड़

156-160

22.

प्लैजरिज्म तथा प्लैजरिज्म सॉफ्टवेयर  का प्रयोग: डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

161-166

23.

पाठक की संकल्पना और उसकी भूमिका: पंकज शर्मा

167-174

24.

हिन्दी कथा आलोचना का आरंभिक स्वरूप: डॉ.संदीप कुमार रंजन

175-182


क्रमांक

विषय

पृष्ठ संख्या

25.

अस्मिता एवं अस्मितामूलक-विमर्श की अवधारणा एवं सिद्धांत: पीयूष राज

189-190

26.

हिंदी के प्रथम आधुनिक कवि : एक विचार- डॉ. मीनाक्षी

191-195

27.

देश की विडंबनाओं का ‘जुलूस’: डॉ. धनंजय कुमार साव

196-204

28.

आतंक एवं विस्थापन की मार्मिक पीड़ा को बयां करता उपन्यासः शिगाफ: डॉ. कुमारी रीना 

205-212

29.

नामवर सिंह के काव्य विचारों में नए प्रतिमानों का अनुशीलन: डॉ॰ सुनील कुमार मिश्रा

213-216

30.

मिथक इतिहास और वर्तमान: डॉ. नेहा कल्याणी

217-221

31.

राष्ट्र की अवधारणा और सांस्कृतिक पहचान: अरुणिमा

222-228

32.

रामकथा विषयक निबंधों का अनुशीलन: डॉ. राजकुमार व्यास

229-234

33.

स्वप्न और संघर्ष के स्वर डॉ. रवि रंजन

235-245

34.

रिश्तों के बंधन में स्वच्छंदता का स्वर : ‘सपनों की होम डिलीवरी’: श्रुति पाण्डेय

246-249

35.

साहित्य के परिप्रेक्ष्य में ‘तुलना’ के घटक: धर्मेन्द्र प्रताप सिंह

250-252

36.

सामाजिक जागृति तथा शोषण से मुक्ति के लिए प्रतिबंध संजीव जी का कथा साहित्य

('अपराध' के संदर्भ में): डॉ. कुमारी उर्वशी

253-262

37.

आदिवासी उपन्यासों के आईने में स्त्री जीवन: डॉ. उपमा शर्मा

263-268

38.

आधुनिक युगबोध और गुरु नानक वाणी - डॉ. शोभा कौर

269-276

39.

रंग-बिरंगे दोहों का पुष्पगुच्छ : बिहारी सतसई: अमरेन्द्र प्रताप सिंह

277-282

40.

शैलेष मटियानी की कहानियों में अभिव्यक पर्वतीय जीवन संघर्ष के विविध आयम: ऋतु

283-290

41.

कृष्ण भक्ति की सिरताज ‘ताज’- सत्रहवीं शताब्दी की स्त्री कृष्ण भक्त लेखिका: ज्योति

291-296

42.

समकालीन कविता का सरोकार: डॉ. रामचरण पांडेय

297-302

43.

प्रमुख स्मृतियों में मानव कल्याण की अवधारणा: आलोक कुमार झा

303-305

44.

सूफी काव्य में भारतीय संस्कृति तथा लोक जीवन: विजयश्री सातपालकर

306-308

 

साहित्यिक विधाएँ

 

45.

साहित्यिक विधाएँ: कविता- सुशांत सुप्रिय, मनीष सिंह

309-311

46.

साहित्यिक विधाएँ: कहानी- बाढ़ और प्यार: आकांक्षा सक्सेना

312-318

47.

साहित्यिक विधाएँ: लघुकथा- अधिनायक: सीताराम गुप्ता

319-320


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