मर्यादित प्रेम
सदियों से आकाश ने
अपने सशक्त बाहुपाश में
पृथ्वी को प्रदान की है
कवचयुक्त सुरक्षा,
प्रेम का यह है
सात्विक स्वरूप
आकाशीय गरिमा का प्रतीक
मिलन की व्यग्रता नहीं,
चाह केवल
अपलक निहारने की,
अपनी लालिमा से
भोर और संध्या में
मांग भरना पृथ्वी की,
दिन में उज्जवल प्रेम द्दष्टि से
प्रकाशित करना
रात्रि में ओढाकर
सलमे टंकी चादर
सुला देना
और चन्द्र सितारों को
नियुक्त कर प्रहरी
रखना ध्यान
गुफ्तगू का हुआ मन
तो मिल लिये जाकर
दूर क्षितिज पर
लोगों की निगाहों से दूर
यह है सच्चा मर्यादित प्रेम !!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
( सर्वाधिकार सुरक्षित)
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