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श्रीमंत शंकरदेव पर केंद्रित 'प्राग्ज्योतिका' पत्रिका के आगामी अंक हेतु शोध आलेख आमंत्रित

 प्रो. चंदन कुमार के संपादकत्व में निकलने वाली पत्रिका *'प्राग्ज्योतिका'* के आगामी अंक के लिए आप सभी के शोध लेख सादर आमंत्रित हैं।

 *'प्राग्ज्योतिका'* पत्रिका साहित्य, मानविकी, समाज विज्ञान और प्रदर्शनकारी कलाओं की त्रैमासिक शोध पत्रिका है। यह पत्रिका विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानकानुसार प्रकाशित होने वाली *'पीयर रिव्यूड रेफ्रीड शोध पत्रिका'* है। पत्रिका का प्रवेशांक प्रकाशित हो चुका है। पत्रिका के खंड-1, अंक- 2, जनवरी-मार्च, 2021 के लिए आपके मौलिक, अप्रकाशित शोध आलेख 30 दिसंबर, 2020 तक आमंत्रित हैं

'प्राग्ज्योतिका'* पत्रिका का आगामी अंक *'श्रीमंत शंकरदेव'* पर केंद्रित है। आप सभी से आग्रह है कि श्रीमंत शंकरदेव के साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक योगदान पर अपने शोध लेख प्राग्ज्योतिका की ई-मेल आईडी pragjyotikapatrika@gmail.com पर भेज सकते हैं।

शोध आलेख को भेजते समय  अकादमिक नियमों का ध्यान रखना होगा-


1- शोध आलेख हिंदी अथवा अंग्रेजी भाषा में मौलिक एवं अप्रकाशित होने चाहिए।

2- शोध संदर्भ, तथ्य, वक्तव्य आदि का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए।

3- शोध संदर्भों का उपयोग अकादमिक शोध नियमों के अनुपात में होना चाहिए।

4- शोध सामग्री के साथ संक्षिप्त परिचय, पासपोर्ट आकार का फोटो, ई-मेल तथा मोबाइल नंबर अवश्य लिखें।

5- शोध पत्र 3000 से 5000 शब्दों तक हो सकता है। कंप्यूटर पर अंकित शोध सामग्री ही स्वीकार की जाएगी। इसके लिए हिंदी में यूनिकोड अथवा मंगल फॉन्ट का प्रयोग किया जाए।

6- शोध आलेख लिखने के बाद एक बार उसे सही से पढ़ लें, वर्तनी, संदर्भ आदि की जांच कर लें, तभी आलेख भेजें।

7- प्रत्येक अंक की सूचना पत्रिका की वेबसाइट (www.pragjyotikapatrika.com) पर उपलब्ध रहेगी।

8- शोध पत्र हमारी विशेषज्ञ समीक्षा समिति (Peer Reviewed committee) के द्वारा द्वि-स्तरीय समीक्षित होकर प्रकाशन हेतु स्वीकृत किये जाते हैं।


     *संपादक*
*प्रो. चंदन कुमार*

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