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एक दीप प्यार का

 प्रकाश प्रसरित करे

रंग  जीवन में भरे

समा है  बहार का

एक दीप प्यार का


तम से संघर्ष को

चाक से माटी गढ़े

दीप को आधार दे

पाठ सृजन का पढ़े

त्याग उस कुम्हार का

एक दीप प्यार का


जो आज  सूखे हैं

बचपन से  भूखे हैं

देखा  ढंग से नहीं

अन्न भोजन कहीं

उनके  आहार का

एक दीप प्यार का


सीमा पर संघर्षरत

आठों पहर अनवरत

प्राणो की न चिंता कर

संकटों से जूझ कर

जोश भरे ज्वार का

एक दीप  प्यार का

--ओंम प्रकाश नौटियाल

(किंडल पुस्तक "एक दीप प्यार का" से-सर्वाधिकार सुरक्षित)

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