कहाँ गई गौरैया
कहाँ गई गौरैया
छुटकी,प्यारी गौरैया
चीं चीं करती गौरैया
संगी अपनी गौरैया,
शायद ढूंढ रही हो
उड़ उड़ वैसा अंगना
सूख रहे हों धान वहाँ,
सुस्ताए और कर सके
कुछ देर जलपान जहाँ,
चूर हुई थक कर पर
धान मिले न अंगना,
उदास हुई गौरैया
कहाँ गई गौरैया!!
शहर शहर में ढूंढे गाँव
गाँव गाँव में बाग,
नीम मिला न खेत कहीं
दिखते नहीं बिखरे दाने,
जाए कहाँ भूख मिटाने,
न पेडों पर पानी की हाँडी
रहे न ताल तलैय्या
रूठ गई गौरैया,
छोड चली गौरैया,
जाने कहाँ गई गौरैया !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
(पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित )
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