योग
योग
माया के लोभी नहीं
बड़भागी वह लोग,
तन ,मन सदा स्वस्थ रहे,
करते हैं नित योग
करते हैं नित योग ,
डाह से दूर सदा हैं
चैन , प्रेम, संतोष ,
हृदय में रचा बसा है
कहें ’ओ्म’ कविराय ,
भाग्य से दिन फिर आया
विश्व करेगा योग,
इसी मे ब्रह्म समाया !
-ओम प्रकाश नौटियाल
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