विनती
सावन के जलधर सुनो ,
विनती एक अशेष,
हद से अधिक जल भर कर,
करें न नभ प्रवेश,
करें न नभ प्रवेश ,
अतिवृष्टि अति विनाश है,
जल प्रलय,स्खलन ,बाढ,
ह्वास और संत्रास है,
बरसे नेह फुहार ,
द्दश्य हो हर मनभावन
सबकी हो तब चाह ,
कि अब आएगा सावन !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
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