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बरसात

बाँधों का छलकना
नदियों का उफान,
बहते मवेशी
गिरते ढहते मकान ,
भीगती लकडियाँ
उपले कण्डे,
सडकों में नाले
बडे बडे गद्ढे ।
टपकती छतें
भीगती लटें,
मेढ़क की टर्र टर्र
किवाडों की चरमर,
कडकती बिजली
गरजते बादल,
हरे हरे खेत
भरे भरे ताल
मच्छर , मक्खी , तिलचट्टे
धान , खीरे , भुट्टे !
सावन के झूले
तीज का त्योहार,
शिव पूजन के
श्रावणी सोमवार !
व्यवस्था पस्त,
जनता त्रस्त ,
पंद्रह अगस्त !
अमरूद ,जामुन,आम
इन्द्र धनुषी शाम !!
शह और मात !
वाह री बरसात !!!
--ओम प्रकाश नौटियाल
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
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