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मेघ

पानी ढो थकते नहीं , 
मिले  नहीं विश्राम,
मेघ मेघ से कह रहा , 
कितना हमको काम,

कितना हमको काम , 
नीर सागर से भरना
लेकर इतना भार, 
नित्य नभ मध्य विचरना, 

श्रम की हो यदि बात , 
नहीं मेघों का सानी,
बरसा कर निज नीर , 
चले फिर भरने पानी !
-ओम प्रकाश नौटियाल
(सर्वाधिकार सुरक्षित )
https://www.amazon.in/s?k=om+prakash+nautiyal   

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