श्रद्धांजलि
कंटक पथ पर बढ़े सदा ही
हमें चैन की नींद सुला कर,
भारत माँ सेवा में तत्पर,
जीवन सुख आराम भुला कर
शोकग्रस्त है देश समूचा
दुख कैसा यह अंतहीन है,
माँ के लाल, दुलारों का तन
माँ के आँचल में विलीन है,
जब भी शीतल पवन थपेडे
उपवन, कानन से गुजरेंगे,
कण कण में बसी तुम्हारी
महक धरा, नभ में भर देंगें,
अपार वेदना की घडियों में
पीर हॄदय की कब थम पाई
कोटि नमन हे वीर शहीदों,
सादर अश्रुपूरित विदाई !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
(सर्वाधिकार सुरक्षित )
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