पुस्तक परिचय - बीस अनूठी कहानियों का संग्रह
पुस्तक परिचय - बीस अनूठी कहानियों का संग्रह - पुस्तक "शतरंजी खंभा"
शतरंजी खंभा :- एक प्रतिभाव
पुस्तक :- शतरंजी खंभा ( कहानी संग्रह)
लेखक :- श्री ओम प्रकाश नौटियाल ( Mob .9427345810 )
प्रकाशक :- कलमकार मंच
उपलब्धता :
1.पुस्तक पेपर बैक में कलमकार मंच की वेबसाइट के निम्न लिंक पर मात्र Rs 130/- ( डाक खर्च सहित ) पर उपलब्ध है ।
https://kalamkarmanch.in/product/06Dec
2. इसके अतिरिक्त अमेजन पर ( Rs150/- + डाक खर्च Rs 66/- पर भी उपलब्ध है ।
https://www.amazon.com/s?k=om+prakash+nautiyal
वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार श्री ओमप्रकाश नौटियाल की नवीनतमकृति "शतरंजी खंभा " , हाल ही में पढ़ने का सुअवसर मिला . दशकों से प्रकृति -पर्यावरण , सामाजिक, सम सामयिक आदिअनेक विषयों पर केंद्रित उनकी कविताएं , चुटीले हास्य - व्यंग्य , गीत पढ़ते आ रहे हैं. सांस सांस जीवन, पावन धार गंगा है, पीपल बिछोह में, कौड़ी दाम उसूल, दुक्के चौक्के छक्के,एक दीप प्यार का जैसे अनेक कविता संग्रहों के सृजन के पश्चात इस बार उनके द्वारा रचित गद्य पढ़ना एकअनूठाअनुभव रहा .उनकी कविताओं की हीभांति उनकी गढ़ी कहानियां भी अपनी सी लगती हैं . विभिन्न विषयों पर आधारित बीस कहानियों का यह संग्रह अवश्य ही हमारे संग्रह में होना चाहिए.
प्राक्कथन में लिखी एक पंक्ति कहानी संग्रह का सारगर्भित परिचय दे देती है , "बचपन से पकी उम्र तककी लंबी यात्रा में हर व्यक्ति का उम्र का पिटारा जब रीतने लगता है तो वह खाली जगह बचपन , जवानी और बढ़ती उम्र के खट्टे मीठे, तीखे कड़वे किस्सों की आप बीती और जग बीती से भरने लगती है जिसे वहऔरों से साझा करने के लिए बेचैन रहता है ."और यह उक्ति उनके 'शतरंजी खंभा ' पर सटीक बैठती है . वास्तव में प्रत्येक कहानी हमारीजीवन-यात्रा के विभिन्न पड़ावों की ही कहानी है . हम सभी के पास ऐसे किस्से कहानियां होतेहैं जिन्हें साझा करने को हमारा मन और लेखक की कलम बेचैन रहती है . इस कहानी संग्रह की विशेषता है इसकी कहानियों की विषयवस्तु... बहुत विस्तृत.. .. अनेकानेक विविधताएं लिए ....मानो भिन्न भिन्न कैनवास पर उकेरे गए ढेर सारे चित्र. कहीं बड़े मेट्रो शहरों की अनिश्चितताओं भरी जिंदगी तो किसी कैनवास पर ठेठ पहाड़ी गांव का सीधा सरल जीवन और स्नेही स्वजनों से लगने वाले पात्र... कहीं सामाजिक कुरीतियां दर्शाता चित्र तो कहीं एक वरिष्ठ जन के हृदय की अनकही , अव्यक्त भावनाओं से दो चार कराते दृश्य ...
प्रत्येक कहानी में मौलिकता को स्पष्ट रूप से अनुभव किया जा सकता है ..कहानी को आगे पढ़ेजाने की जिज्ञासा यही मौलिकता पैदा करती है , वरना पाठक द्वारा पुस्तक एक तरफ रख जम्हाई लेने की पूरी संभावना बनी रहती है ! प्रत्येक कहानी में अंतिम शब्द तक रोचकता बनी रहती है जो पाठकों को अंत तक बांधे रखती है. कहानी संग्रह का नाम ही पाठकीय जिज्ञासा जगाने में कामयाब है ... शतरंजी खंभा अर्थात ! क्या कोई ऐसा खंभा जिसके नीचे बैठकर खेलने से या मात्र खड़े हो जाने से शतरंज की दिमागी कसरत करवा देने वाली सारी चालें खुद ब खुद समझ आ जाती होंगी ! मन में अनेक जिज्ञासाएं सर उठाने लगीं ... और सबसे पहले मुझे भी शतरंजी खंभे के नीचे ही जाना पड़ा ! पूरी कहानी पढ़ने के दौरान मैं स्वयं हर शाम खंभे के नीचे बिछने वाली शतरंज की बिसात ... मोहरों की चाल और शह-मात के रोमांचक खेल की मूक दर्शक बनी रही . गम बूट पहने ,कांधे पर फावड़ा धारे रावत जी मानो मेरे समक्ष ही खड़े थे ...और बता रहे थे , "खेतों में पानी लगाने जा रहा हूं , किसी और का पानी काट कर खेत की तराई करूंगा". ... साथ ही मधुशाला से मधुमय हो लौटते गोकुल उस्ताद की फूल सी बरसती वाणी ! क्या कहने ! भाषा में चित्रात्मकताऐ सी कि समूचा दृश्य अपने देशकाल , वातावरण, पात्र परिधान केसाथ सजीव हो उठे और स्वयं पाठक भी उसका एक मूक पात्र बन जाए ! शतरंजी खंभा केसाथ साथ बिरजूलाला , टिनू , मुलाकात , वह तांगे वाला , मदिरा मुक्ति कहानियों में बहुत से रोचक स्थानीय/ देशज शब्दों से अलंकृत भाषा पढ़ने को मिली .. सुंदर चित्रात्मकता लिए इन सभी कहानियों में आंचलिकता का पुट है .
चेतना इस संग्रह की दूसरी प्रभावशाली कहानी है . बिना किसी दार्शनिकता के, सीधी सरल भाषा में कहा गया है .. समाज को अपने कर्तव्यों के प्रति चैतन्य करने का एकमात्र उपाय है कि प्रत्येक व्यक्ति स्वयं अपने सामाजिक दायित्वों व कर्तव्यों के प्रति स्वयं सजग हो ,कभी विमुखनहो . वरना पर उपदेश कुशल बहुतेरे वाली स्थिति हो जाएगी . यदि स्वयं जागरूक हैं तो अपने आसपास न तो उपदेश देने की ही आवश्यकता होगी और नही उपदेशों के अंध कार्यान्वयन से उपजी असहजता या अपराधबोध का सामना करने की .
आशीर्वाद कहानी के पंडित त्रिभुवन जुयाल जी जैसे दादा जी की अनिवार्य आवश्यकता हर परिवार में है . छोटे एकल परिवारों में संवादहीनता से उपजी अनेक समस्याएं जन्म ही न लें यदि दो पीढ़ियों के मध्य से तू समान बुजुर्गों की उपस्थिति बनी रहे . हृदय स्पर्शी कहानी है आशीर्वाद ..
पिछले कुछ वर्षों में महिला सशक्तिकरण के अनेक अनूठे उदाहरण सामने आये .कुछ इस प्रकार थे जहां दूल्हे के अशिक्षित होने की जानकारी होते ही सुशिक्षित कन्या ने विवाह से इंकार कर दिया ... कूटनीति इसी विषय वस्तु पर एक रोचक , परिस्थिति जन्य व्यंग्ययुक्त कहानी है . सुशिक्षित ,निर्धन कन्या का ,धनी प्रभावशाली परिवार के अनपढ़ युवक से विवाह आयोजित करने की घटना का अत्यंत रोचक वर्णन है .
कोरोना , लाकडाऊन, इस सदी की भीषणतम महामारी और उससे हमारी जीवन शैली में आए अनेक बदलावों की कहानी है . ..मनोवैज्ञानिक प्रभावों की कहानी है . अनुरोध , बढ़ती उम्र में जीवन साथी के साथ और प्रेम की हृदयस्पर्शी लघुकथा है . भ्रम तथा एक ईमानदार की मौत , में दफ्तरों में बेहद ईमानदारी से कार्य कर रहे निष्ठावान कर्मचारियों की शोचनीय दशा पर अच्छा व्यंग्य किया गया है .
बीस अनूठी कहानियों का यह संग्रह संग्रहणीय है और प्रत्येक साहित्य प्रेमी के संग्रह में स्थान पाने योग्य है. अपनी कहानियों के माध्यम से विभिन्न देश-काल, पृष्ठभूमि व जीवंत पात्रों से रूबरू कराने को लिए संपूर्ण पाठकवर्ग की ओर से अनेक धन्यवाद ."शतरंजी खंभा "के प्रकाशन पर लेखक को धराभर बधाई एवं आकाश भर शुभकामनाएं . आशा है भविष्य में भी आपकी लेखनी यूं ही अनवरत चलती रहेगी और अनेकानेक अपने से लगते पात्रों का सृजन करती रहेगी .
शुभाकांक्षी
अनुपमा नौडियाल
(उपन्यास "अज्ञातवास" और कहानी संग्रह "अपने अपने प्रतिबिंब" की लेखिका)
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