अमनदीप कौर की कविताएँ विश्वहिंदीजन चौपाल7:18:00 pm काट लो वक़्त रहते ही बदज़ुबानी के नाख़ुन जब जब बढ़ते हैं आख़िरकार चेहरा अपना ही ज़ख़्मीं करते हैं । --------------------------... 0 Comments Read