नीदरलैंड्स से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका '‘अम्स्टेल गंगा’ का अक्टूबर – दिसम्बर 2016 अंक
नीदरलैंड्स से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका '‘अम्स्टेल गंगा’ का अक्टूबर – दिसम्बर 2016 अंक
पत्रिका के अनुभाग: अक्टूबर – दिसम्बर २०१६ (अंक १७ , वर्ष ५ )
अम्स्टेल गंगा के इस फुलवारी में आपका स्वागत है।
रंग बिरंगे फूलों की इस बगीया में विचरण करे और हमें अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत करायें।
सम्पादक मंडल
अम्स्टेल गंगा
पत्रिका के अनुभाग: विषय सूची
हिंदी साहित्य:::
काव्य साहित्य:
दोहे:
दीपावली–दोहावली – डॉ.पूनम माटिया
हाइकु:
हाइकु – ज्योत्स्ना प्रदीप
नवगीत:
रह गए अनुवाद केवल – अवनीश त्रिपाठी
ग़ज़ल:
ग़ज़लें – शिज्जु शकूर
ग़ज़ल – कृष्णा कुमारी
ग़ज़ल – सौरभ पाण्डेय
कविता:
एक कमज़ोर औरत – कादंबरी मेहरा
राधा प्रेम(सार छंद) – सपना मांगलिक
रंग है बिखरे-बिखरे – डा.कल्पना गवली
कविता लिखता हूँ… – विश्वम्भर पाण्डेय ‘व्यग्र’
नदी के उस ओर – अशोक बाबू माहौर
गुमशुदा की तलाश – आनन्द बाला शर्मा
इंसानियत – शील निगम
लेख::
कबीर के ध्वज वाहक परसाई : व्यंग बनाम बहू की सास द्वारा ली जाने वाली रेगिंग – विवेक रंजन श्रीवास्तव विनम्र
अन्तर्मन् – सरिता राठौड़
व्यंग्य::
टर्राने का मोसम – राजेश भंडारी “बाबु”
बाबा ,बाजार और करतार – अशोक गौतम
बच्चों का कोना::
बाल एकांकी: लालच की सजा – बलराम अग्रवाल
चींटी की कसरत – नीरज त्रिपाठी
लघुकथा::
आपकी हिंदी – सुभाष चंद्र लखेड़ा
सौंदर्य – सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा
मेन इन यूनिफ़ॉर्म – विजय कुमार
मोबाईल – प्रा.एस.के.आतार
अहमियत – चंद्रेश कुमार छतलानी
कहानी::
डोंट टेल टू आंद्रे – सुमन सारस्वत
तीसरा वज्रपात – मुरलीधर वैष्णव
कहानी में कशिश – डॉ. मनोज मोक्षेंद्र
प्यार का इंतजार – डॉ. सुनिल जाधव
नाटक::
एक फ़िल्मी दृश्य – प्राण शर्मा
समीक्षा::
यशधारा – महिला रचनाकार विशेषांक मील का पत्थर – संजय वर्मा “दृष्टी ”
भोजपुरी हिंदी साहित्य:::
मनोज सिंह ‘भावुक’ की कवितायेँ
भाखा के मेल आ दुरदुरावल भोजपुरी – प्रिंस रितुराज
अप्रवासीय रोजनामचा:::
भूल गये – डॉ शिप्रा शिल्पी
अम्स्टेल गंगा समाचार:::
टीसीएस एम्सटर्डम मैराथन – एक अंतराष्ट्रीय महोत्सव – अम्स्टेल गंगा समाचार ब्यूरो
साहित्यिक समाचार :::
हिंदी चेतना::
हिन्दी चेतना का अक्टूबर – दिसंबर २०१६ अंक – अम्स्टेल गंगा समाचार ब्यूरो
प्रस्तावित पुस्तकें:::
गर्भ की उतरन : डॉ पुष्पिता अवस्थी
बंधन : मनोज सिंह
कला दीर्घा:::
प्यारा भइया – दिया अरोड़ा
प्राकृतिक सुंदरता – एड्रियन बाकर
मातृत्व – स्वाति सिंह देव
श्रद्धा और सबूरी – ऋतु श्रीवास्तव सिन्हा
अलंकारिक फव्वारा – कृशानु रॉय
[यह सम्पूर्ण आप इस लिंक पर पढ़ सकते हैं- अक्टूबर-दिसंबर 2016]
[पत्रिका हेतु लिंक- http://amstelganga.org/]
‘अम्स्टेल गंगा ‘ का उद्देश्य हिंदी साहित्य को विश्व के हर कोने में सुलभ कराना है जिससे विश्व भर में फैले हिंदी प्रेमी अपनी सुविधानुसार इसका रसास्वादन और अध्ययन कर सकें।
हमारा उद्देश्य होगा कि विश्व के हर कोने में हिंदी साहित्य की रचना में संलग्न लेखकों को एक मंच पर लाया जा सके जहाँ वे अपने अनुभवों और रचना प्रतिभा का आदान प्रदान कर सकें और इस प्रकार हिंदी के विकास में सहायक बनें।
हिंदी साहित्य की लोकप्रियता को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करना तथा नए लेखकों की रचनाएँ प्रकाशित कर के उन्हें प्रोत्साहित करना भी हमारा उद्देश्य है ।
- अमित कुमार सिंह , अखिलेश कुमार एवं डॉ पुष्पिता अवस्थी
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