रुक रुक ठहर ठहर OM2:26:00 pm जब से लगी नज़्ररों को, बढ़ती उम्र की नज़र बस एक सी लगती हैं, मुझे शाम औ’ सहर लगते थे फरिश्ते से , रिश्तों की ओट ले कभी से दे रहे थे , मीठ... 0 Comments Read
बजटीय सौन्दर्य OM10:44:00 amबजटीय सौन्दर्य हे बजट मित्र !! हैरान हूं मैं तुम्हारे चमत्कार पर तुम ऐसा कर कैसे लेते हो ? सता पक्ष को दिखाई देते हो दिलकश, हसीन ... 0 Comments Read