सर्दी चढ़ी सोपान OM10:23:00 pmसर्दी चढ़ी सोपान सर्दी चढ़ी सोपान रात का वृहद वितान कैसे गुजरेगी भला, काँप काँप यह रात, शीत थपेडों से हुई, नाग पाश सी रात, मिले नहीं समाधा... 0 Comments 3 minuteRead
बंधन यह अनुराग का OM10:48:00 am महका महका पावन पावन मौसम कितना सावन सावन महावर ,घेवर झूलों का रक्षाडोर, करफूलों का कलरव मधुर राग का बंधन यह... 0 Comments 3 minuteRead
संदेश -सरहद से OM9:08:00 am"भय्या तो हैं सीमा पर, राखी कैसे भेजूँ उन्हें", बहन, इस चिंता में, आँखें न भिगोना री, - तेरी ममता की डोर, बाँधे रक्खे , रहूँ क... 0 Comments 3 minuteRead
सावन OM8:21:00 amफैले धानी खेतों से सुरभित सुगंध चावल की महेश्वर पूजने जाती सरगम खनके पायल की - छवि चहकी गौरैया की कब विस्मृत हो पाती है सहन सूखते दानों को ज... 0 Comments 3 minuteRead
हिंदी कविता- क्षितिज का प्रचार OM10:50:00 pmHindi Kavita हिंदी कविता- क्षितिज का प्रचार कहाँ नभ की ऊँचाई और कहाँ तल धरती का कहीं मेल नहीं... 0 Comments 3 minuteRead
हे संक्रमण, हे संक्रमण !! OM11:55:00 am हे संक्रमण, तेरे चरण करें क्यों जग का व्युत्क्रमण प्रभु रचित अनुपम सृष्टि को यूँ धकेल कर मृत्यु शरण भर व्यग्रता अंतःकरण हे... 0 Comments 3 minuteRead
कोरोना -दस दोहे OM8:58:00 am सीख सभी को दे रहा, कोविड़ का यह रोग प्रभु समझना बंद करें, इस धरती पर लोग - प्रकृति मानवी चलन से, क्रोधित हुई प्रचंड़ कोरौना को बुला कर... 0 Comments 3 minuteRead
प्रवासी मजदूर OM8:57:00 am जब खत्म हुआ दाना पानी वापस घर जाने की ठानी कौड़ी थी पास नहीं पल्ले हफ्तों से बैठे निठल्ले सुदूर गाँव , मात्र एक आस असंभव यहाँ आगे प्रव... 0 Comments 3 minuteRead
सोवियत संघ के विघटन पर एक वामपंथी के मन का दर्द व्यक्त करती उस काल की कुछ कविताएं: रामकिशोर मेहता विश्वहिंदीजन चौपाल1:50:00 pm 1 मई के अवसर सोवियत संघ के विघटन पर एक वामपंथी के मन का दर्द व्यक्त करती उस काल की कुछ कविताएं। 1 लेनिनग्राद से कार्ल मार्क्स व ... 0 Comments 3 minuteRead
समकालीन कविता की विशेषता- प्रो रणजीत कुमार सिन्हा vishwahindijan3:45:00 am समकालीन कविता की विशेषता प्रो रणजीत कुमार सिन्हा ‘समकालीन कविता’ अपने परिवेश के प्रति ,अपने समय क... 0 Comments 3 minuteRead
बजटीय सौन्दर्य OM10:44:00 amबजटीय सौन्दर्य हे बजट मित्र !! हैरान हूं मैं तुम्हारे चमत्कार पर तुम ऐसा कर कैसे लेते हो ? सता पक्ष को दिखाई देते हो दिलकश, हसीन ... 0 Comments 3 minuteRead
मुकेश बोहरा अमन की रचनाएँ विश्वहिंदीजन चौपाल8:55:00 pm मैं भी सब कुछ कर सकती हूं पापा, पापा सुनो गौर से, मैं भी सब कुछ कर सकती हूं । जमीं, आसमां, जल के भीतर , नाम आपका कर ... 0 Comments 3 minuteRead
संजय शेफर्ड की कविताएँ vishwahindijan3:30:00 am मैं जिस दुनिया का वासी हूं वहां सिर्फ तीन लोग रहते हैं एक मैं एक तुम एक और तुम हम तुम परिचित हैं एक दूसरे से वर्षों से पर यह जो एक औ... 0 Comments 3 minuteRead
मधु संधु जी की कवितायें विश्वहिंदीजन चौपाल6:36:00 pm मीडिया गाथा जुड़वां भाइयों की तरह मेरी एल. सी. डी. के सभी चैनल ज़ी. , ए. बी. पी. , इंडिया टी. वी. टाइम न्यूज़ वगैरह एक ही भा... 0 Comments 3 minuteRead