संदेश -सरहद से
"भय्या तो हैं सीमा पर,
राखी कैसे भेजूँ उन्हें",
बहन, इस चिंता में,
आँखें न भिगोना री,
-
तेरी ममता की डोर,
बाँधे रक्खे , रहूँ कहीं,
पावन पर्व का तुम ,
उत्साह मत खोना री,
-
बहुत प्रसन्न हूँ कि,
तेरे संग संग मिला,
भारत माँ की रक्षा का,
दायित्व सलोना री,
-
सरहद से शत्रु तो,
मिटा के ही दम लेंगें,
भीतर के जयचंदों ,
ठगों का है रोना री !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
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