विश्वहिंदीजन चैनल को सबस्क्राइब करें और यूजीसी केयर जर्नल, शोध, साहित्य इत्यादि जानकारी पाएँ

संदेश -सरहद से




"भय्या तो हैं सीमा पर,
राखी कैसे भेजूँ उन्हें",
बहन, इस चिंता में, 
आँखें न भिगोना री, 
-
तेरी ममता की डोर,  
बाँधे रक्खे , रहूँ कहीं,
पावन पर्व का तुम , 
उत्साह मत खोना री,
-
बहुत प्रसन्न हूँ कि, 
तेरे संग संग मिला,
भारत माँ की रक्षा का, 
दायित्व सलोना री,
-
सरहद से शत्रु  तो, 
मिटा के ही दम लेंगें,
भीतर के जयचंदों , 
ठगों का है रोना री !!
-ओम प्रकाश नौटियाल
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
https://kalamkarmanch.in/product/06Dec 
https://www.amazon.com/s?k=om+prakash+nautiyal

कोई टिप्पणी नहीं:

सामग्री के संदर्भ में अपने विचार लिखें-