पावस !!
श्रावन में आ गया करार,
अंबुद से बरसी जलधार
अंजलि भर श्रद्धा अनुराग,
अर्पित करने को तैयार
शिव भक्ति में खोए सभी
ज्ञानी और अज्ञानी हो
आ गई प्रिय पावस ऋतु
हरियाली हो पानी हो !
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पर्ण पर्ण थिरके है पवन ,
भीगे तन, मदभरी सिहरन
जंगल, खेत ,ताल ताल में,
लहर लहर व डाल डाल में
उक्षित उच्छंखल मौसम
करता बस मनमानी हो !
आ गई प्रिय पावस ऋतु
हरियाली हो पानी हो !
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मंदिर प्रांगण स्तवन पावन
भक्तिरस में डूबा सावन
पंचामृत का हो अभिषेक,
महकी श्रद्धा , रूप अनेक
भक्तों को शुभाषीश दे
देवी मात भवानी हो !
आ गई प्रिय पावस ऋतु
हरियाली हो पानी हो !
-ओम प्रकाश नौटियाल
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