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कोरोना -दस दोहे

सीख सभी को दे रहा, कोविड़ का यह रोग
प्रभु समझना बंद करें, इस धरती पर लोग
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प्रकृति मानवी चलन से, क्रोधित हुई प्रचंड़
कोरौना को बुला कर , देती जग को दंड़
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कौरोना है सूक्ष्म सा, कर्मों से भी नीच
रहने लायक है नहीं , इंसानो के  बीच
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कौरोना का क्या पता, कब तक ठहरे ढीठ
करते रहिए उपेक्षा, दिखा दिखा कर पीठ
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जीवन जीना सीखिए , कौरोना के संग
हँसना सदा बना रहे, जीने का इक ढंग
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पशुओं ने सोचा नहीं , होगा उनका राज
नगर पथों पर रात दिन, विचरेंगे बेताज
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डगमग जीवन नाव है , हावी फिर भी स्वार्थ
संग्रह करते थोक में , नित नित खाद्य पदार्थ
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पुलिस ,चिकित्सक आपका,ऋणी रहेगा देश
प्राणों की बाजी लगा,  करते कर्म अशेष
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धनार्जन के लिये गया, गाँव छोड़ मजदूर
धन बिन पैदल लौटता ,किस्मत से मजबूर
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सेवा में जो लीन हैं, आपद में दिन रात
ईश्वर लम्बी आयु दे , खुशी मिले सौगात
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-ओंम प्रकाश नौटियाल
(पूर्व प्रकाशित-सर्वाधिकार सुरक्षित)
मोबा. 9427345810

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