कब तक बहलें - -ओंम प्रकाश नौटियाल
कब तक बहले हम नारे से
बैठे हैं तन मन हारे से
था दिया जिन्हे दायित्व सौंप
रख रहे कभी से लारे मॆं
किस किस का फोड़ें भंड़ा जी
कहते रहिये सब चंगा जी!!!
भविष्य दूर खड़ा झांक रहा
किस्मत को अपनी आँक रहा,
इस वर्तमान की पीड़ा पर
मोती आँसू के टाँक रहा,
ना मिला खुशी का फन्ड़ा जी
कहते रहिये सब चंगा जी!!
किस का सदा अच्छा वक्त रहा
कोमल रहा कभी सख्त रहा
कई राजा आये चले गये
संग साथ कभी न तख्त गया
जब वक्त मिले बेढंगा जी
कहते चलिये सब चंगा जी!!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
(पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित)
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