वृद्ध
लोरी सुन शिशु सो रहा,
यौवन मद आधीन,
भटके वृद्ध अतीत में,
बिस्तर पर आसीन.
बिस्तर पर आसीन,
चिंता यही सता रही,
बच्चे बसे विदेश,
मिलेंगे भी पता नहीं,
उखड रही है श्वास,
कच्ची यह जीवन डोरी,
कर कर बचपन याद,
सुनी जब माँ की लोरी !
-ओम प्रकाश नौटियाल
(सर्वाधिकार सुरक्षित )
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