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भौतिकता

ज्यो ज्यों जग में घट रहा, 
भाईचारा नेह,
बढे़ उसी अनुपात  में, 
रक्तचाप, मधुमेह,

रक्तचाप, मधुमेह, 
लोग जीते तनाव में,
भौतिकता के दास, 
कटुता है स्वभाव में, 

कहें ’ओंम’ कविराय ,
हुआ तन भोगी त्यों त्यों,
मन में धन का लोभ, 
हो रहा हावी ज्यों ज्यों !
-ओम प्रकाश नौटियाल 
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
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