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बहती रहती है समय धार

वीणा सितार औ’ सुर बहार
झंकृत होते फिर बार बार 
पगध्वनि लगी पहचानी सी
मृदुभाषी नार सयानी सी
नव वर्ष रहा देखो पधार
बहती रहती है समय धार !
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उत्साह प्रमोद संग लाए
दुख से न कोई कुम्हलाए
वंचित जो पड़े अँधेरों में
आएं किरणों के घेरो में
पनपे जीवन में नव बहार
बहती रहती है समय धार 
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किरणों के रथ पर बैठ भोर
अग्रसर होती नववर्ष ओर
कल उषा का जब उदय होगा
अभिवादन होगा ओर छोर
उत्सव होगा फिर आर पार 
बहती रहती है समय धार !
-ओम प्रकाश नौटियाल
(  सर्वाधिकार सुरक्षित )
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