विश्वहिंदीजन चैनल को सबस्क्राइब करें और यूजीसी केयर जर्नल, शोध, साहित्य इत्यादि जानकारी पाएँ

अंबर ओर पतंग

दंगे धरती पर चलें , 
सेवा खातिर जंग,
चैन खोजने  तब चली , 
अंबर ओर पतंग,

अंबर ओर पतंग , 
वहाँ भी चैन न पाएं,
थाम हाथ में डोर , 
मनचले पेंच लड़ाएं, 

बहुरंगी यह देश ,  
कहें रंगीन पतंगे ,
दिखा गगन के स्वप्न , 
वहाँ करवाते दंगे !
-ओम प्रकाश नौटियाल
( सर्वाधिकार सुरक्षित )
https://www.amazon.in/s?k=om+prakash+nautiyal

कोई टिप्पणी नहीं:

सामग्री के संदर्भ में अपने विचार लिखें-