विश्वहिंदीजन चैनल को सबस्क्राइब करें और यूजीसी केयर जर्नल, शोध, साहित्य इत्यादि जानकारी पाएँ

भारत माँ कोटि प्रणाम





कण कण तीर्थ, सुखधाम
माँ कोटि कोटि प्रणाम !
-1-
जन जीवन के रंग सभी
सौरभ, सुगंध, बहार,
पाए तुम से ही माता
करुणा, क्षमा, संस्कार,
वंदनीय अभिनंदन
आराध्य तुम,  अभिराम
माँ कोटि कोटि प्रणाम !
-2-
कला बोध, गीत, संगीत
प्रीत, सुर, लय, स्वरधार,
माँ मंजुल देन तुम्हारी
अपरिमित सब उपकार,
अंक तुम्हारा होगा
हर जन का  मुक्तिधाम
माँ कोटि कोटि प्रणाम !
-3-
वन, झील, ताल, तरंगिणी,  
महीधर सम उपहार
हरियाली से आच्छादित
सुन्दर प्रकृति सुकुमार,
शोभा मोहक अनुपम
दमकती ललित ललाम
माँ कोटि कोटि प्रणाम !
-4-
माता सेवा में रमकर
हो प्राणों का उत्सर्ग,
यह ध्येय अगर जीने का
हर पल बने फिर स्वर्ग,
हो संग माँ आशीष 
चित्त निर्मल  निष्काम
माँ कोटि कोटि प्रणाम !
-ओम प्रकाश नौटियाल
(सर्वाधिकार सुरक्षित )
https://kalamkarmanch.in/product/06dec
https://www.amazon.in/s?k=om+prakash+nautiyal

कोई टिप्पणी नहीं:

सामग्री के संदर्भ में अपने विचार लिखें-