हरकीरत हीर की कविताएँ विश्वहिंदीजन चौपाल3:16:00 pm अभी ख़ौफज़दा हैं ज़ख़्म …………. मैंने .... कह दिया है ख़ामोशी से कुछ दिन और रहे संग मेरे .... कि आग में जलकर मिट गये थे जो शब्द वहाँ जन्... 0 Comments Read