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एक दीप प्यार का

9:55:00 am
 प्रकाश प्रसरित करे रंग  जीवन में भरे समा है  बहार का एक दीप प्यार का तम से संघर्ष को चाक से माटी गढ़े दीप को आधार दे...
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अंतस भरे प्रकाश

9:52:00 am
सघन अमावस रात में  रच डाला इतिहास वन से लौटे राम श्री पूरा कर  बनवास  - धरती की अनुपम छटा दीप माल हर ओर टिम टिम तारे दमक कर प्रकटें हर्षोल्ल...
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निर्भय जलना

9:50:00 am
 यह अँगना सदियों दीप्त रहा तम पी पी दीप अतृप्त रहा दीपक चाहत केवल प्रकाश ज्योत पर हृदय आसक्त रहा किरण किरण झरता  झरना झूम झूम...
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मर्यादित प्रेम

11:37:00 am
                           सदियों से आकाश ने                     अपने सशक्त बाहुपाश में                     पृथ्वी को प्रदान की है          ...
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पिता

11:35:00 am
जीवन के खेवनहार पिता संबल सबके आधार पिता जग छोड़ किया अंधियार पिता यह कैसा क्रूर प्रहार पिता जीवन के खेवनहार पिता नित्यशः बैठ तुम नीम तले ...
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अभिशप्ता

9:40:00 am
 मैं कन्या अभिशप्ता  बुझी बुझी अतृप्ता  जब थी अजन्मी तभी से एक दुविधा मन में पनपी  क्या यही मेरी नियति  कि मैं चाहे  भ्रूण हूं बालिका या त...
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इक्कीसवीं सदी में आदिवासी अस्मिता के प्रश्न-डॉ.विजय कुमार प्रधान

12:23:00 am
 इक्कीसवीं सदी में आदिवासी अस्मिता के प्रश्न-डॉ.विजय कुमार प्रधान -डॉ.विजय कुमार प्रधान, एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी विभाग, वनस्थली विद्यापीठ (र...
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रोशनी रखना-दो मुक्तक

9:01:00 am
 -1- खिले मुस्कान होठों पर,शक्ल तुम मोहिनी रखना सर्द आहें छुपाने को, खुशी की ओढनी रखना , ले लें न अंधेरे कहीं ,जीवन गिरफ़्त में अपनी अंधेरों ...
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बादल - -ओंम प्रकाश नौटियाल

9:38:00 am
कई रंगो में खिल गया बादल बूंद बूंद समा फल गया बादल उसे कहा इस अंगना बरसना घुडकी देकर निकल गया बादल सूर्य रश्मियाँ ले भीतर ...
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सरकारी आईना

11:44:00 am
 जैसे कुछ तिकड़मी सियासत दान  धूर्त महान, हर दल की सरकार में बन जाते हैं मंत्री;  करते हैं निरंतर सत्ता सुखपान, वैसे ही कुछ चाटुकार तथाकथित स...
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रात की तनहाई और सिसकियाँ

3:57:00 pm
- ओंम प्रकाश नौटियाल कुछ दिनों पूर्व कि बात है शंघाई शहर के सिंगची गाँव के पंचायती घर के एक कमरे में विद्वान सहित्यकार ली पिंग एक दिन ठहरन...
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टुकड़ा टुकड़ा सत्य

4:34:00 pm
आजकल सत्य की थाह  के लिये, आवश्यक है महारथ हो चित्र खंड़ पहेली हल करने में, क्योंकि सत्य नहीं मिलता अब  एक मुश्त कहीं , बिखरा होता ह...
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जनतंत्र जाग जनतंत्र जाग

2:23:00 pm
सेवा  जैसा बलिदान नहीं शिक्षा सद्दश्य अभिदान नहीं जन पर्व गाये प्रयाण राग जनतंत्र जाग जनतंत्र जाग क्यों हम अपनी गरिमा खोये...
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माँ

2:23:00 pm
मन अथाह सागर  तेरा, जीवन की अरुणाई माँ कोई माप सका है कब  ममता की गहराई माँ । तुझसे सुने  कथा किस्से , बचपन में पहुँचाते  ह...
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'विश्वहिंदीजन' द्वारा किए जा रहे संकलन कार्यों से जुडें

7:20:00 am
' विश्वहिंदीजन ' द्वारा हिंदी के विभिन्न पक्षों पर संकलन का कार्य जारी है. नीचे दिए हमारे संकलन कार्यों से यदि कोई भी व्यक्ति ज...
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